मुंबई में AQI 100 के पार पहुंचने के बाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. (Representational Photo) Mumbai Pollution Hearing News Updates: बॉम्बे हाई कोर्ट ने AQI और प्रदूषण मामलों की सुनवाई में BMC की कार्यशैली को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने देखा कि शहर के 30 AQI मापने वाले स्टेशनों में से कई का डेटा नहीं दिखा, जबकि BMC ने इसे नेटवर्क समस्या बताया.
चुनावी ड्यूटी और स्वास्थ्य प्राथमिकता पर भी कोर्ट ने सवाल उठाए और कहा कि BMC को चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखना चाहिए था. कोर्ट ने BMC की निगरानी योजना, 91 स्क्वॉड और साइट विजिट पर सवाल खड़े किए और कहा कि हर स्क्वॉड को दिन में कम से कम चार साइट्स का दौरा करना चाहिए.
Navi Mumbai में 52 नए AQI स्टेशन लगाने की योजना पर भी चर्चा हुई. निर्माण की इजाजत और मजदूरों की सुरक्षा पर भी कोर्ट ने ठोस प्रस्ताव पेश करने को कहा. कोर्ट ने सुनवाई में BMC को आगामी दो हफ्तों के लिए ठोस योजना पेश करने की चेतावनी दी.
अदालत ने समय की कमी का हवाला देते हुए कहा कि संबंधित पक्ष अपनी आपत्तियां और सुझाव समिति के सामने दाखिल करें. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मुख्य न्यायाधीश (CJI) के आगमन के कारण इस मामले में विस्तृत आदेश पारित करना संभव नहीं होगा, लेकिन यह जरूरी है कि निरीक्षण करने वाली टीमें एक ही नहीं बल्कि एक से अधिक दौरों में साइट्स का निरीक्षण करें.
कोर्ट ने यह भी कहा कि तुरंत काम बंद न कराया जाए, लेकिन परियोजना संचालकों को नोटिस देकर स्पष्ट चेतावनी दी जाए. इसके तहत साइट्स पर प्रमुख और दिखाई देने वाले नोटिस लगाए जाएं, ताकि यह संदेश जाए कि उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई होगी. इन नोटिसों का प्रारूप साइक्लोस्टाइल जैसा एकसमान होगा और सीधे तौर पर प्रोजेक्ट प्रोपोनेंट्स को सौंपा जाएगा.
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) की ओर से पेश हुए अधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने बताया कि आरएमसी (रेडी मिक्स कंक्रीट) प्लांट्स की रैंडम जांच के लिए अधिकारियों का एक विशेष समूह बनाया गया है. इसके अलावा निर्माण श्रमिकों के कल्याण से जुड़े मुद्दों पर बोर्ड से संवाद के लिए एक अलग समिति भी गठित की गई है. उन्होंने बताया कि बीते दिन MPCB ने मुंबई के 22 आरएमसी प्लांट्स का निरीक्षण किया, जिनमें से 7 प्लांट्स में खामियां पाई गईं और इनमें से 5 प्लांट्स की 5-5 लाख रुपये की बैंक गारंटी जब्त की गई.
मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी को निर्धारित की गई है.
मुंबई में बढ़ते प्रदूषण और निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने बीएमसी प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कई सख्त निर्देश दिए हैं. सुनवाई के दौरान जब बीएमसी के वकील कामदार ने बताया कि शहर में 1000 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाले 125 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई है, तो कोर्ट ने हैरानी जताई.
कोर्ट ने कहा कि 125 प्रोजेक्ट्स, वो भी 1000 करोड़ से ऊपर. यह कोई बहुत बड़ा शहर नहीं है. आपको इतनी मंजूरी नहीं देनी चाहिए थी. स्थिति अब आपके नियंत्रण से बाहर हो चुकी है.
इस पर बीएमसी ने दलील दी कि मुंबई में जमीन की कीमतें बहुत ज्यादा हैं, इसलिए प्रोजेक्ट्स की लागत इतनी बढ़ जाती है.
अदालत ने बीएमसी कमिश्नर को सीधे निर्देश देते हुए कहा कि अगले दो सप्ताह तक ₹1000 करोड़ से ऊपर के किसी भी नए प्रोजेक्ट को मंजूरी न दी जाए. कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए पूछा कि जब कमिश्नर देर रात तक काम कर रहे हैं, तो उनका दस्ता (Squad) दिन-रात काम क्यों नहीं कर रहा है?
सुनवाई में वकील जनक द्वारकदास ने कहा कि अगर BMC मौजूदा प्रदूषण की निगरानी नहीं कर पा रहा और अधिकारी चुनाव ड्यूटी में लगे हैं, तो नए निर्माण के लिए अनुमति क्यों दी जा रही है.
कोर्ट ने इसे एक अच्छा सुझाव बताते हुए कहा कि समस्या को बढ़ाने की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने BMC से कहा कि वे ठोस और व्यवहार्य योजना पेश करें जिसे लागू किया जा सके. अब मामले की अगली सुनवाई आज शाम ही 4 बजे होगी.
हाईकोर्ट ने कहा कि अगर कोई कंपनी श्रम कानूनों का उल्लंघन करती है तो निगमों के पास उसके साथ कॉन्ट्रैक्ट समाप्त करने का अधिकार है. कोर्ट ने BMC को फटकार लगाते हुए कहा कि आप कुछ भी नहीं कर रहे हैं, हमने यही देखा है.
कोर्ट ने बीएमसी के वकील को कहा कि आपके पास 30 पॉइंट गाइडलाइन है लेकिन उसे लागू नहीं किया जा रहा. अगर काम किया होता तो लोग एयर पॉल्यूशन के लिए कोर्ट क्यों आते. कोर्ट ने कहा कि आपको ऐसा सिस्टम बनाना होगा जिससे उल्लंघन की संभावना कम से कम हो. 4 बजे तक कोर्ट को आगामी दो हफ्तों का प्रस्ताव दें, नहीं तो आदेश पारित किया जाएगा.
मुंबई प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान नवी मुंबई की ओर से पेश वकील तेजस डांडा ने बताया कि 52 नए AQI मापने वाले यंत्र छह महीने में तैनात किए जाएंगे. एमिकस क्यूरी खंबाटा ने कहा कि यह युद्धस्तरीय तेजी नहीं लग रही.
कोर्ट ने निर्देश दिया कि इसे दो हफ्तों में किया जाए. डांडा ने कहा कि मांग अधिक है और प्रोक्योरमेंट में समय लगेगा, लेकिन इसे दो महीने में पूरा करने की कोशिश करेंगे.
साथ ही, PNG आधारित चार क्रेमेटोरियम और कुछ जल फव्वारे भी लगाए जा रहे हैं. इस दौरान MPCB की ओर से वकील आशुतोष कुम्भकोनी ने निर्माण स्थलों पर मजदूरों की सुरक्षा के मुद्दे पर बात की.
मुंबई प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने BMC से अगले दो हफ्तों की योजना पूछी और कहा कि आने वाले दिनों में क्या कदम उठाए जाएंगे. BMC के वकील कामदार ने बताया कि 94 स्क्वॉड कम से कम 2 जगहों का निरीक्षण करेंगे, जिससे करीब 200 साइट्स का दौरा होगा.
इस पर कोर्ट ने पूछा कि ऐसा क्यों सीमित किया गया है और एक साइट पर कितना समय लगता है. BMC के वकील कामदार ने कहा कि हर साइट पर लगभग 2 घंटे लगेंगे, लेकिन कोर्ट ने कहा कि हर स्क्वॉड को दिन में कम से कम 4 साइट्स का दौरा करना चाहिए ताकि निगरानी प्रभावी हो.
मुंबई प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान BMC के वकील कामदार ने कहा कि वे चुनाव आयोग से अनुमति नहीं मांग सकते. इस पर NGO की ओर से पेश अधिवक्ता जनक द्वारकदास ने कहा कि लोगों का जीवन अधिकार चुनाव ड्यूटी से ऊपर है, अगर लोग मर जाएंगे तो वोट कौन डालेगा.
एमिकस क्यूरी खंबाटा ने भी कहा कि स्वास्थ्य संकट चुनाव से ज्यादा महत्वपूर्ण है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि BMC को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए थी, जिस पर कामदार ने सहमति जताई.
मुंबई प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान अमीकस क्यूरी डेरियस खंबाटा ने कोर्ट को बताया कि शहर में मौजूद 30 AQI मापने वाले स्टेशनों में से सिर्फ 19 स्टेशन ही डेटा दिखा रहे हैं. इस पर BMC की ओर से पेश हुए वकील एसयू कामदार ने इस दावे का खंडन किया.
बीएमसी ने कहा कि सभी AQI स्टेशन काम कर रहे हैं, लेकिन नेटवर्क की समस्या के कारण कुछ स्टेशनों का डेटा दिखाई नहीं दे रहा है. इस मुद्दे पर कोर्ट ने स्थिति को गंभीर मानते हुए BMC से जवाब तलब किया और निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दिया.
मुंबई प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट ने BMC की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जताई. कोर्ट ने पूछा कि पिछले शाम 2 बजे के बाद BMC ने क्या ठोस कदम उठाए, क्या नोटिस जारी किए गए या सरप्राइज चेकिंग हुई. BMC की ओर से कहा गया कि 39 साइट्स का निरीक्षण किया गया. इस पर कोर्ट ने सवाल उठाया कि जब 91 स्क्वॉड मौजूद हैं तो सभी को काम पर क्यों नहीं लगाया गया.
कोर्ट ने कहा कि BMC के पास न तो स्क्वॉड की निगरानी का कोई सिस्टम है और न ही GPS ट्रैकिंग. कोर्ट ने साफ कहा कि यह कोर्ट के आदेशों को लागू करने में गंभीर लापरवाही दिखाता है. कोर्ट ने 15 दिनों का पूरा डेटा मांगा और कहा कि अगर दो-तिहाई स्टाफ काम नहीं कर रहा तो इसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए.
मुंबई प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट ने BMC को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ डेटा दिखाना यह साबित नहीं करता कि काम हो रहा है. आज कोर्ट ने खुद तीन जगहों पर हालात देखे हैं और प्रशासन ने आंखें मूंद रखी हैं. कोर्ट ने पूछा कि जब कोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी ने 36 जगहों का दौरा किया, तो क्या BMC ने भी खुद निरीक्षण किया.
BMC की ओर से वकील एसयू कामदार ने बताया कि सभी 36 जगहों का दौरा किया गया है, लेकिन सभी जगहों पर नियमों का पालन नहीं हो रहा. इस पर कोर्ट ने कहा कि कार्रवाई सुधारात्मक नहीं बल्कि रोकथाम वाली होनी चाहिए. कोर्ट ने सवाल उठाया कि अगर कर्मचारी चुनाव ड्यूटी में थे तो चुनाव आयोग से अनुमति क्यों नहीं ली गई.
मुंबई में AQI को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट की सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी डैरियस खंबाटा ने बताया कि शहर में मौजूद 30 AQI मापने वाले स्टेशनों में से सिर्फ 19 ही डेटा दिखा रहे हैं. इस पर BMC की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एसयू कामदार ने अदालत को बताया कि यह बात सही नहीं है. उन्होंने कहा कि सभी AQI स्टेशन काम कर रहे हैं, लेकिन नेटवर्क की समस्या के कारण कुछ स्टेशनों का डेटा फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें रिकॉर्ड में ली हैं.
मुंबई की खराब वायु गुणवत्ता को लेकर दायर याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट में कुछ ही देर में सुनवाई शुरू होगी. यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए. अंखड की बेंच के सामने होगी.
मुंबई प्रदूषण से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट ने सुनवाई को आज बुधवार तक के लिए स्थगित कर दिया था. कोर्ट ने साफ कहा था कि जरूरत पड़ी तो वह कोर्ट की छुट्टियों के दौरान भी बैठेगा. बेंच ने सभी संबंधित सरकारी एजेंसियों और अधिकारियों को निर्देश दिए कि अगली सुनवाई में सिर्फ रिपोर्ट नहीं, बल्कि ठोस और व्यावहारिक समाधान के साथ पेश हों. कोर्ट ने दोहराया कि यह मामला सीधे नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़ा है और इसमें किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
मुंबई प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने अधिकारियों और वकीलों को उनकी नागरिक जिम्मेदारी की याद दिलाई. कोर्ट ने कहा कि वे सिर्फ अदालत के अधिकारी ही नहीं हैं, बल्कि देश के नागरिक भी हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करना उनका मौलिक कर्तव्य है. बेंच ने साफ किया कि प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दे पर कानून के साथ-साथ सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी निभाना भी जरूरी है.
मुंबई प्रदूषण से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान बीते दिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने उल्लंघनों को लेकर अपना आदेश जारी किया था. कोर्ट ने कहा कि कोर्ट-नियुक्त समिति ने कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में नियमों का पालन न होने की बात पाई है. इसके साथ ही याचिकाकर्ता संस्था वनशक्ति (Vanshakti) की ओर से भी कई सुझाव अदालत के सामने रखे गए हैं. कोर्ट ने इन सभी बिंदुओं को रिकॉर्ड में लिया है और आगे की कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है.
मुंबई में बढ़ते प्रदूषण को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में बीते दिन की सुनवाई के दौरान BMC ने बताया कि नियमों का उल्लंघन करने वाले प्रोजेक्ट्स के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है. BMC के वरिष्ठ वकील ने कोर्ट को बताया कि जांच रिपोर्ट मिल चुकी हैं और इसके आधार पर कई परियोजनाओं को कारण बताओ नोटिस (शो-कॉज नोटिस) और काम रोकने के आदेश (स्टॉप-वर्क नोटिस) जारी किए गए हैं. कोर्ट के निर्देशों के अनुसार आगे भी सख्त कदम उठाए जाएंगे.