महाराष्ट्र में पिछले साल 3,146 हताश किसानों ने आत्महत्या कर ली. किसानों की आत्महत्या के मामले में यह राज्य देश में पहले स्थान पर पहुंच गया है.
यह जानकारी शुक्रवार को एक कार्यकर्ता ने दी. राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट का हवाला देते हुए विदर्भ जन आंदोलन समिति (वीजेएएस) के प्रमुख किशोर तिवारी ने कहा कि 1995 से राज्य में 60,768 किसान आत्महत्या कर चुके हैं.
तिवारी ने कहा, 'यह केवल आत्महत्या या नरवध नहीं है. यह राज्य सरकार की खास तौर से 15 वर्षों के दौरान तैयार की गई नीतियों द्वारा नियोजित नरसंहार है.'
उन्होंने कहा कि यह शर्म का विषय है कि कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी किसानों के बीच अवसाद और निराशा को खत्म करने में नाकाम रही है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो की रिपोर्ट से सरकारी दावे की कलई खुल जाती है कि पिछले साल किसानों की आत्महत्या के मामले में 50 प्रतिशत की कमी आई है.