महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से सत्ता की हलचल तेज तो हुई है लेकिन सरकार बनने की कोई सूरत नहीं दिख रही. सोमवार को शिवसेना को सरकार बनाने के बारे में शाम साढ़े सात बजे तक राज्यपाल को बता देना था लेकिन वो इसमें नाकाम रही. उसे राज्यपाल ने मंगलवार रात साढ़े आठ बजे तक समय दिया है.
यहां समझना जरूरी है कि सत्ता में शामिल होने का इतना सुनहरा मौका हाथ आने के बाद भी कांग्रेस शिवसेना के साथ जाने में हिचकिचा क्यों रही है. क्या इसका कारण शिवेसना का इतिहास है. बता दें, ट्रेड यूनियनों से मुकाबले के लिए इंदिरा गांधी ने शिवसेना को खड़ा किया था लेकिन धीरे-धीरे कट्टर हिंदुत्व की तरफ झुकाव ने शिवसेना को कांग्रेस से दूर कर दिया.
अब महाराष्ट्र की राजनीति एक ऐसे चौराहे पर आ खड़ी हुई है जिसमें सबके दावे अलग हैं. शिवसेना को पहले उम्मीद थी कि अगला मुख्यमंत्री उसका होगा लेकिन कांग्रेस के रुख ने शिवसेना के सपनों पर पानी फेर दिया. कांग्रेस के विधायक जयपुर के देउना विस्टा रिजॉर्ट में ठहरे हैं लेकिन उनके नेताओं में दिल्ली में हलचल है.
दूसरी ओर उद्धव ठाकरे ने सरकार बनाने को लेकर सोनिया गांधी को फोन किया लेकिन सोनिया गांधी ने अपना पत्ता नहीं खोला. 10 जनपथ की बैठक खत्म हुई तो शिवसेना के लिए कोई साफ संदेश आया नहीं. अब महाराष्ट्र की राजनीति मंगलवार को किस दिशा में जाएगी, ये देखने वाली बात होगी.
मंगलवार को एनसीपी विधायक दल की बैठक होने वाली है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पार्टी के बड़े नेताओं के साथ बैठक करने वाली हैं. उद्धव ठाकरे भी शरद पवार से कांग्रेस की शर्तों पर बात करने वाले हैं.
कांग्रेस के नेताओं की टीम मुंबई में शरद पवार से मिलने वाली है. यानी मंगलवार को हर दल अपने दांव चलेंगे लेकिन इससे ज्यादा ये अटकलें तेज रहेंगी कि क्या शिवसेना का अपना मुख्यमंत्री बनाने का सपना पूरा होगा?