महाराष्ट्र में छिड़ी सियासी जंग अब दूर तक जाती दिख रही है. महा विकास अघाड़ी (एमवीए) से नाता तोड़ने की मांग को लेकर विधायकों की बगावत से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार पहले ही मुश्किलों का सामना कर रही है. अब शिवसेना पर उद्धव का कंट्रोल भी फिसलता नजर आ रहा है.
शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे की सुई अब सत्ता के बाद पार्टी की ओर घूमती नजर आ रही है. सत्ता को लेकर शुरू संघर्ष अब पार्टी पर कंट्रोल तक आता नजर आ रहा है. खबर है कि शिवसेना के कुल 18 में से 14 सांसद बागी गुट के संपर्क में हैं.
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जानकारी के मुताबिक शिवसेना के 18 में से 14 सांसद बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे के संपर्क में हैं. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी गुट ने पहले ही 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया है. अब अगर पार्टी के 18 में से 14 सांसद भी शिंदे गुट के साथ हो लेते हैं तो उद्धव ठाकरे के लिए शिवसेना पर कंट्रोल बनाए रख पाना मुश्किल हो जाएगा.
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अगर ऐसा हुआ तो एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी गुट का शिवसेना के झंडे और चुनाव चिह्न पर दावा और मजबूत हो जाएगा. बदले हालात में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने दोपहर 2.30 बजे से कैबिनेट की बैठक बुलाई है. कहा य भी जा रहा है कि राज्यपाल, उद्धव ठाकरे से विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं. उद्धव ठाकरे की मुख्यमंत्री की कुर्सी तो संकट में है ही, बाला साहेब की बनाई शिवसेना पर उनका कंट्रोल भी अब कमजोर पड़ता दिख रहा है.
पार्टी के चुनाव चिह्न और झंडे पर दावा कर सकते हैं बागी
बागी विधायकों का गुट महाराष्ट्र में सत्ता का संघर्ष खत्म होने के बाद शिवसेना के चुनाव चिह्न और झंडे पर दावा कर सकता है. जानकार बताते हैं कि दलबदल निरोधी कानून के तहत किसी भी तरह की कार्रवाई से बचने के लिए बागी गुट को शिवसेना के कम से कम 37 विधायकों का समर्थन साबित करना होगा.
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बागी विधायक अगर ये समर्थन साबित नहीं कर पाए तो उनके खिलाफ दलबदल निरोधी अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक कार्रवाई हो सकती है. अगर बागी गुट 37 विधायकों का समर्थन साबित कर देता है तो ये इसके बाद पार्टी के चुनाव चिह्न और झंडे पर भी दावा कर सकते हैं.