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महाराष्ट्र: BJP ने दिग्गज नेताओं को नजर अंदाज कर MLC के लिए नए चेहरों पर खेला दांव

बीजेपी ने विधान परिषद के चुनाव में अपने पुराने और दिग्गज नेताओं को नजर अंदाज कर नए चेहरों के नाम फाइल किए हैं. इसी के साथ बीजेपी के वरिष्ठ नेता जो एमएलएसी के जरिए विधानमंडल पहुंचना चाहते थे, उन्हें तगड़ा झटका लगा है. पंकजा मुंडे और एकनाथ खड़से जैसे नेताओं को निराश होना पड़ा है.

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पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस और गोपीचंद पडलकर
पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस और गोपीचंद पडलकर

  • बीजेपी ने एमएलसी के चार कैंडिडेट के नाम किए फाइल
  • पंकजा मुंडे-एकनाथ खड़से को बीजेपी ने नहीं दिया टिकट

महाराष्ट्र के विधान परिषद की 9 सीटों पर 21 मई को होने वाले चुनाव को लेकर बीजेपी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. बीजेपी ने विधान परिषद के चुनाव में अपने पुराने और दिग्गज नेताओं को नजर अंदाज कर नए चेहरों के नाम फाइल किए हैं. इसी के साथ बीजेपी के वरिष्ठ नेता जो एमएलएसी के जरिए विधानमंडल पहुंचना चाहते थे उन्हें तगड़ा झटका लगा है.

बीजेपी ने चार एमएलसी सीटों के लिए अपने प्रत्याशी के नाम को अंतिम रूप दिया है. बीजेपी डॉ. अजित गोपछडे, प्रवीण डटके, गोपीचंद पडलकर और रणजीत सिंह मोहित पाटिल को विधान परिषद का कैंडिडेट घोषित किया है. गोपीचंद पडलकर वंचित बहुजन अगाड़ी छोड़कर हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए हैं, जबकि रणजीत सिंह मोहित पाटिल एनसीपी से बीजेपी में आए हैं.

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महाराष्ट्र में बीजेपी के कई दिग्गज नेता, जो विधानसभा चुनाव हार गए थे वो एमएलसी के टिकट के संभावित दावेदार माने जा रहे थे. गोपीनाथ मुडें की बेटी पंकजा मुंडे, पूर्व मंत्री एकनाथ खड़से और पूर्व मंत्री चंद्रशेखर बावनपुरे जैसे विधान परिषद के लिए लॉबिंग कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया है.

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पंकजा मुंडे विधानसभा चुनाव हार गई थी और एकनाथ खड़से और चंद्रशेखर बावनपुरे को बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया था. ये तीनों बीजेपी के नाम पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस के विरोधी गुट के माने जाते हैं. विधानसभा चुनाव के बाद से पंकजा और एकनाथ खड़से तो खुलकर बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं. वहीं, चंद्रशेखर बावनपुरे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के करीबी नेता माने जाते हैं. ऐसे में अब देखना है कि वे क्या सियासी कदम उठाते हैं.

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महाराष्ट्र के कुल 288 सदस्यीय विधानसभा में सत्ताधारी महा विकास अघाड़ी को 170 विधायकों का समर्थन हासिल है. इनमें शिवसेना के 56 विधायक, एनसीपी के 54 विधायक, कांग्रेस के 44 विधायक और अन्य 16 विधायक उनके साथ हैं. वहीं, बीजेपी के नेतृत्व वाले विपक्ष के पास 115 विधायक हैं जबकि 2 AIMIM और एक मनसे के विधायक हैं.

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विधान परिषद की एक सीट के लिए तकरीबन 32 वोटों की प्रथम वरियता के आधार पर जरूरत होगी. इस लिहाज से महा अघाड़ी छह सीटों को लेकर समीकरण बना रही है. वहीं बीजेपी की नजर भी चार सीटों पर है. इसके लिए सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों की नजर निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों पर है.

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