लोकसभा चुनाव में जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की सियासी जंग फतह करने की कवायद में जुट गई है. बीजेपी महाराष्ट्र में इस बार 220 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है. इसे हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस प्रदेश में रथयात्रा निकालने जा रहे हैं. हालांकि इस रथयात्रा पर विपक्ष ही नहीं बल्कि बीजेपी की सहयोगी शिवसेना भी सवाल खड़े कर रही है.
वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह की तर्ज पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अपने पांच साल के विकास कार्यों को घर-घर पहुंचाने के लिए अगस्त में रथयात्रा शुरू करने वाले हैं. बीजेपी ने इस रथयात्रा के लिए 'फिर एक बार शिवशाही सरकार' और 'अबकी बार 220 के पार' का नारा दिया है. इस यात्रा के जरिए फडणवीस प्रदेश की सभी 288 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे.
इस रथयात्रा को लेकर एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को विकास यात्रा निकालने के लिए शर्म आनी चाहिए. प्रदेश में 15 हजार किसानों के शव यात्रा का जवाब कौन देगा? किसानों के पास जाने के लिए मुख्यमंत्री के पास वक्त नहीं है और वह रथयात्रा निकाल रहे हैं. प्रदेश के असल मुद्दों से भटकाने के लिए सारे खेल किए जा रहे हैं.
विपक्ष ही नहीं बल्कि बीजेपी की सहयोगी शिवसेना भी रथयात्रा को लेकर तंज कसा है. शिवसेना ने सामना के संपादकीय में निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की प्रस्तावित 'रथयात्रा' आत्महत्या कर चुके किसानों के घरों से होकर गुजरनी चाहिए. राज्य सरकार ने पिछले सप्ताह स्वीकार किया कि चार साल में 12,000 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है. ऐसे में किसानों के परिवारों की शिकायतों और उनके कष्ट को समझने के लिए प्रस्तावित ‘रथयात्रा’ इन 12000 किसानों के घरों से होकर गुजरनी चाहिए.
महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार है कि जब कोई नेता मुख्यमंत्री रहते हुए रथयात्रा के जरिए प्रदेश भर का दौरा करेंगे. इस यात्रा के जरिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस प्रदेश के सियासी मिजाज को समझने के साथ-साथ अपने विकास कार्यों को लोगों के बीच पहुंचना चाहते हैं. यह यात्रा अगस्त में शुरू होगी और विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगी.
फडणवीस से पहले वसुंधरा राजे ने राजस्थान, शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश और रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ में रथयात्रा निकाली थी, लेकिन तीनों नेता अपनी सरकार नहीं बचा सके. हालांकि बीजेपी की जिन राज्यों में सरकार होती है, वहां पर चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ऐसी यात्रा निकालते रहेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुजरात के सीएम रहते हुए ऐसी यात्रा निकालते रहें हैं, जिससे प्रभावित होकर बीजेपी ने अन्य राज्यों में भी ऐसी यात्राएं शुरू की थी.
महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस भले ही पहले सीएम हैं जो रथयात्रा पर निकलने वाले हैं. हालांकि इससे पहले 90 के दशक में बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ 'संघर्ष यात्रा' महाराष्ट्र में निकाली थी. इस यात्रा के जरिए बीजेपी को राज्य के ग्रामीण इलाकों में काफी मजबूती मिली थी. इस यात्रा का नतीजा था कि 1995 में महाराष्ट्र की सत्ता में पहली बार बीजेपी-शिवसेना आई. इसके अलावा मुंडे ने गोदावरी परिक्रमा यात्रा भी की थी.
गोपीनाथ मुंडे के निधन के बाद और 2014 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पंकजा मुंडे ने पिता की तरह संघर्ष यात्रा निकाली थी. इस यात्रा के जरिए पंकजा ने ओबीसी समुदाय को बीजेपी से जोड़ने में अहम भूमिका अदा की थी. पंकजा मुंडे ने महाराष्ट्र के 79 विधानसभा क्षेत्रों में संघर्ष यात्रा निकाली थी. इस यात्रा का बीजेपी को काफी फायदा मिला था.