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टूलकिट केस: शांतनु मुलुक को मिली 10 दिन की अग्रिम ट्रांजिट जमानत

आरोपी शांतनु मुलुक को 10 दिन की अग्रिम ट्रांजिट जमानत मिल गई है. आरोपी शांतनु मुलुक के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने ये फैसला सुनाया है.

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बॉम्बे हाई कोर्ट
बॉम्बे हाई कोर्ट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • HC की औरंगाबाद बेंच ने सुनाया फैसला
  • शांतनु मुलुक को 10 दिन की मिली राहत

टूलकिट केस में आरोपी निकिता जैकब पर आज बॉम्बे हाईकोर्ट फैसला सुनाएगा. कल बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. वहीं आरोपी शांतनु मुलुक को 10 दिन की अग्रिम ट्रांजिट जमानत मिल गई है. आरोपी शांतनु मुलुक के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने ये फैसला सुनाया है.

बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच की जस्टिस विभा कंकानवाड़ी ने शांतनु मुलुक को 10 दिन की अग्रिम ट्रांजिट जमानत दे दी. मुलुक ने दिल्ली पुलिस को याचिका में पक्षकार नहीं बनाया था, लेकिन महाराष्ट्र सरकार की ओर से अग्रिम जमानत पर आपत्ति उठाई गई. सरकारी याचिकाकर्ता एसवाई महाजन ने दलील दी कि न तो दिल्ली पुलिस की एफआईआर याचिका में है और न ही मामले की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली पुलिस को पार्टी बनाया गया है.

हालांकि अदालत ने महसूस किया कि शांतनु मुलुक अपनी गिरफ्तारी से क्यों बच रहा है, इसके कारण दिए गए हैं और यह पर्याप्त है. एफआईआर नई दिल्ली में दर्ज की गई है और कोर्ट केस के बारे में सुनवाई नहीं करेगा, लेकिन आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत के लिए किसी भी नियमित आवेदन पर विचार किया जाएगा. इसी आवेदन के आधार पर कोर्ट ने शांतनु मुलुक को 10 दिन की अग्रिम ट्रांजिट जमानत दे दी है.

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क्या है पूरा मामला
निकिता जैकब और शांतनु दोनों पर आरोप हैं कि ये खालिस्तानी समर्थकों के साथ संपर्क में थे और उनके इशारे पर वो टूलकिट गूगल डॉक्यूमेंट क्रिएट किया गया था, जिसे दिशा रवि ने ग्रेटा थनबर्ग को भेजा था और जो ग्रेटा से लीक हो गया था. शांतनु मुलुक के बनाए ई-मेल अकाउंट से टूलकिट गूगल डॉक्यूमेंट क्रिएट किया गया था. इसमें निकिता जैकब और दिशा रवि ने एडिट किया था और फिर इसे आगे अलग अलग ग्रुप्स में शेयर भी किया था.

ग्रेटा थनबर्ग के ट्विटर अकाउंट से लीक होने के बाद जब टूलकिट डॉक्यूमेंट की जांच दिल्ली पुलिस की साइबर यूनिट से शुरू की तो इसके तार बेंगलुरू की पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि, मुंबई हाईकोर्ट की वकील और एक्टिविस्ट निकिता जैकब, महाराष्ट्र के बीड के इंजीनियर और एक्टिविस्ट शांतनु मुलुक से जुड़े मिले.

इसमें दिशा रवि को तो शनिवार को ही दिल्ली पुलिस ने बेंगलुरू से अरेस्ट कर लिया था और दिल्ली लाया गया था, लेकिन निकिता जैकब और शांतनु मुलुक फरार हो गए थे. शांतनु, निकिता और दिशा एक दूसरे से XR नाम के एनजीओ के ज़रिए जुड़े थे. इन पर आरोप है कि ये खालिस्तानी समर्थकों के मोहरे बने थे. 26 जनवरी की हिंसा की पटकथा टूलकिट के ज़रिए इन्होंने पहले से तैयार कर ली थी. शांतनु 20 से 27 जनवरी तक दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन में भी था.

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