scorecardresearch
 

मुंबई: इंजीनियर की मौत बन सकती है कबूतरों की कब्रगाह, ढहाए जा सकते हैं कबूतरखाने

मुंबई में बीएमसी के एक इंजीनियर की मौत से लाखों कबूतरों का आशियाना छिन सकता है. एकनाथ जोंधाले की मौत से शहर के 200 कबूतरखानों के लिए खतरा पैदा हो गया है.

Advertisement
X
क्या छिन जाएगा कबूतरों से आशियाना?
क्या छिन जाएगा कबूतरों से आशियाना?

मुंबई में बीएमसी के एक इंजीनियर की मौत से लाखों कबूतरों का आशियाना छिन सकता है. एकनाथ जोंधाले की मौत से शहर के 200 कबूतरखानों के लिए खतरा पैदा हो गया है.

दरअसल, 30 जून को एकनाथ अपनी बाइक पर जा रहे थे तभी ग्रांट रोड कबूतरखाने के पास एक कबूतर उनसे टकरा गया. एकनाथ संतुलन खो बैठे और एक्सीडेंट से उनकी मौत हो गई. अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' में छपी खबर के मुताबिक, घटना के बाद से बीएमसी कबूतरखानों की लोकेशन और अस्तित्व को लेकर नए सिरे से विचार कर रही है.

कबूतरों से सांस की दिक्कत!
इसके अलावा इस तथ्य को लेकर भी जागरुकता बढ़ी है कि प्रदूषण से भरी मुंबई में कबूतरों का रहना सेहत के लिए भी ठीक नहीं है. माना जाता है कि कबूतरों की संगत में ज्यादा रहने से सांस से जुड़ी दिक्कतें और एलर्जी हो सकती है. 2009 में घाटकोपर के हिंगावाला लेन के लोगों ने भी मांग की थी कि पड़ोस के जैन उपाष्ट्रय की छत पर पाले गए कबूतरों की वजह से उन्हें सांस की दिक्कतें हो रही हैं और इस वजह से कुछ मौतें भी हुई हैं.

Advertisement

तीन कबूतरखाने बंद
इंजीनियर एकनाथ की मौत के बाद बीएमसी ने सड़कों पर कबूतरों के लिए अनाज बेचने वाले फेरी वालों पर रोक लगा दी. दो दिन बाद बीएमसी की कानून कमेटी के चेयरमैन मकरंद नारवेकर ने कबूतरखानों को कम भीड़ वाली जगहों पर शिफ्ट करने का प्रस्ताव रखा. मिनेरवा, नोवेल्टी थियेटर और नवजीवन सोसाइटी के कबूतरखानों को हटा दिया गया.

अब भी आते हैं पंछी
हालांकि कबूतरखाने हटाए जाने के बाद भी एक्सीडेंट की जगह पर कबूतर रोज इकट्ठा होते हैं. कबूतरों से प्यार करने वाले कहते हैं कि एक्सीडेंट का इल्जाम पक्षियों पर नहीं लगाया जा सकता. उनके मुताबिक, एकनाथ की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है, पर हर बार ऐसा नहीं होता.

Advertisement
Advertisement