एल्गार परिषद के आरोपी और तेलुगु कवि वरवर राव ने फरवरी 2021 को दी गई मेडिकल जमानत की अवधि बढ़ाने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. वह हैदराबाद में अपने घर पर रहने की अनुमति देने के लिए जमानत की शर्तों में संशोधन की भी मांग कर रहे हैं. उन पर लगाई गईं कई शर्तों में से एक विशेष एनआईए कोर्ट, मुंबई के अधिकार क्षेत्र में रहना था.
राव को 22 फरवरी, 2021 को छह महीने की अवधि के लिए अस्थायी जमानत दी गई थी, जो कुछ दिन पहले समाप्त हो गई थी. राव आगे के इलाज के लिए छह महीने की और अवधि की मांग कर रहे हैं. छह महीने की अवधि समाप्त होने से पहले, राव ने 20 अगस्त को नई याचिका दायर की. मामले को शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था. हालांकि, समय की कमी के कारण जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे की बेंच ने सुनवाई को 6 सितंबर तक के लिए टाल दिया.
सीनियर एडवोकेट आनंद ग्रोवर ने कोर्ट को बताया कि चूंकि जमानत की अवधि समाप्त हो रही थी, इसलिए राव के 5 सितंबर, 2021 को आत्मसमर्पण करने की उम्मीद थी. हालांकि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि राव के खिलाफ 6 सितंबर तक कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा.
अधिवक्ता आर सत्यनारायणन के जरिए से दायर अपनी याचिका में राव ने इस आधार पर राहत की मांग की है कि वह महीने में एक या दो बार नानावटी अस्पताल में नियमित जांच के लिए जाते रहे हैं. इस तरह के चेक-अप के दौरान उन्हें नानावटी के डॉक्टरों द्वारा बताया गया था कि उन्हें न्यूरोलॉजिकल समस्या होने का संदेह है और जिसके लिए आगे की जांच की जरूरत है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि मुंबई में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच मुश्किल और वहनीय नहीं है, जबकि दूसरी ओर हैदराबाद में यह काफी बेहतर है. इसमें आगे कहा गया है कि मुंबई में किराए के अपार्टमेंट में रहना भी उन पर बहुत बड़ा वित्तीय बोझ है.