प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अंडरवर्ल्ड डॉन इकबाल मिर्ची से जुड़ी 600 करोड़ के कीमत की कई अचल संपत्तियां अटैच की हैं. दाऊद इब्राहिम का करीबी रहे इकबाल मिर्ची ने अंतराष्ट्रीय ड्रग तस्करी और अवैध व्यापार के जरिये अकूत संपत्ति बनाई थी और दुनिया के कई देशों में तमाम अचल संपत्तियां और व्यापार खड़े कर लिये थे.
ईडी के अधिकारियों ने बताया, 'विस्तृत जांच के बाद भारत में ये संपत्तियां पकड़ी गईं, जिन्हें निदेशालय ने एक प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर के जरिये जब्त कर लिया है. इन संपत्तियों का बाजार मूल्य करीब 600 करोड़ रुपये है.'
ईडी ने सोमवार को ड्रग तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े इस मामले में चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें 16 व्यक्तियों के साथ कई फर्मों को आरोपी बनाया गया है. इनमें इकबाल मिर्ची के अलावा उसकी पत्नी हाजरा मेमन, बेटे आसिफ और जुनैद, DHFL के धीरज वाधवान, उनके सहयोगी रंजीत सिंह बिंद्रा, सन्नी भातीजा, पुरुषोत्तम बुधरानी, इकबाल के सहयोगी हुमायूं मर्चेंट, रिंकू देशपांडे के नाम हैं.
पहले प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर के तहत 2010 में 76.32 करोड़ की संपत्तियां प्रोविजनली अटैच की गई थी. इन संपत्तियों में मुंबई के वर्ली में स्थित सीजे हाउस में तीसरी और चौथी मंजिल के अलावा, तारदेव, मुंबई के अरुण चेंबर में एक ऑफिस, वर्ली के साहिल बंगला में तीन फ्लैट, क्राफोर्ड मार्केट में तीन प्राइम कमर्शियल शॉप और लोनावाला में 5 एकड़ से ज्यादा जमीन और बंगला शामिल है. इन संपत्तियों पर इकबाल मिर्ची ने अपने परिवार और रिश्तेदारों के नाम पर कब्जा कर रखा था.
ईडी का दावा है कि पीएमएल एक्ट के तहत उसकी जांच में सामने आया है कि इकबाल मिर्ची ने मुंबई और उसके आसपास कई संपत्तियों पर अप्रत्यक्ष रूप से कब्जा कर रखा था. सीजे हाउस के तीसरी और चौथी मंजिल पर उसके परिवार ने 14,000 स्क्वायर फीट एरिया पर कब्जा कर रखा था. इसके अलावा वर्ली में 15 मंजिल की प्राइम कमर्शिलयल प्रॉपर्टी पर कब्जा था. यह प्रॉपर्टी मिलेनियम डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड ने डेवलप की थी.
जांच एजेंसी के मुताबिक, प्लॉट के कुछ हिस्से पहले एम के मोहम्मद के कब्जे में थे. इकबाल मिर्ची ने एम के मोहम्मद के साथ एग्रीमेंट किया और प्रॉपर्टी 9 लाख के बदले इकबाल की पत्नी हाजरा मेमन के नाम पर की गई. यह एग्रीमेंट 1986 में किया गया था. हालांकि, 1986 में सिर्फ 20,000 रुपये अदा किए गए उसके बाद इकबाल वहां पर 'फिशरमैन्स वॉर्फ' नाम से एक डिस्कोथेक चलाने लगा. बाद में वर्ली के सीजे हाउस का रिडेवलपमेंट हुआ तो इसमें इकबाल को तीसरी और चौथी मंजिल पर इकबाल की बीवी हाजरा मेमन और उसके बेटे के नाम 14000 स्क्वायर फीट की जगह दी गई.
उसी दौरान साहिल बंगला में एक और प्राइम प्रॉपटी थी जो कि इकबाल मिर्ची ने अपने एक रिश्तेदार के नाम पर कब्जा की. ईडी के मुताबिक, 'अवैध फंड को छुपाने के लिए मिर्ची ने सभी जगहों पर एक फ्लैट खरीद लिया. ये फ्लैट उसकी बीवी हाजरा मेमन, बहन जैबुन्निसा मोहम्मद मेमन और भाई असलम मर्चेंट के नाम खरीदे गए थे. इस खरीद के पीछे के मकसद तब स्पष्ट हो गए जब असलम मर्चेंट और जैबुन्निसा ने अपनी संपत्तियां इकबाल की पत्नी और बेटे को गिफ्ट कर दिए.'
एजेंसी ने जांच में पाया कि लोनावाला की संपत्ति पहले इकबाल की पत्नी हाजरा मेमन के नाम थी. 2005 में इसे हुमायूं मर्चेंट की कंपनी व्हाइट वॉटर डेवलपर लिमिटेड को ट्रांसफर कर दी गई. हुमायूं मर्चेंट इकबाल मिर्ची का करीबी है. 2010 में व्हाइट वॉटर डेवलपर लिमिटेड ने यह संपत्ति इकबाल के बेटे और भाई के नाम ट्रांसफर कर दी.
दूसरे प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर के तहत 500 करोड़ बाजार मूल्य की 3 संपत्तियां जब्त की गईं. ये संपत्तियां वर्ली मुंबई की प्राइम लोकेशन में राबिया मैंशन, मरियम लॉज और सी व्यू में थीं.
ईडी ने बताया, 'जांच में सामने आया है कि सनब्लिंक रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड ने इन संपत्तियों के डेवलपमेंट राइट खरीदने के लिए भारत में अलग-अलग लोगों को 111.80 करोड़ भुगतान किया और दुबई में इकबाल मिर्ची को 154 करोड़ का भुगतान किया. इस भुगतान के बाद इकबाल मिर्ची ने दुबई में मिडवे अपार्टमेंट नाम से एक होटल खरीदा था. जांच में सामने आया है कि फिलहाल इन प्रॉपर्टीज का छद्म मालिकाना किसी सर यूसुफ मोहम्मद ट्रस्ट के पास है, जो इकबाल मिर्ची के लिए काम करता है. यह संपत्तियां मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी हैं इसलिए इन्हें जब्त कर लिया गया है.'