
कोरोना महामारी की दूसरी लहर से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले राज्यों में महाराष्ट्र भी शामिल है. ऐसे कई घर हैं जहां सभी के सभी सदस्य कोविड-19 पॉजिटिव हैं. मरीज को अस्पताल में दाखिल कराने की नौबत आने की स्थिति में घर के दूसरे सदस्यों का पूरी तरह ध्यान उसी पर है. ऑक्सीजन सिलेंडर, जरूरी दवाओं, अस्पताल बेड्स के लिए भी मरीज के तीमारदारों को बहुत भागदौड़ करनी पड़ रही है. एक तरफ इंसानों के साथ ऐसे हालात हैं तो कोविड-19 मरीजों वाले घरों में कुत्तों जैसे पेट्स की देखरेख में भी दिक्कत आ रही हैं.
पेट्स की देखभाल के लिए पुणे में डॉग हाउस और पेट्स होम समाधान के साथ सामने आए हैं. ये पहले उन लोगों के कुत्तों की देखरेख के लिए बनाए गए थे, जिन्हें काम के लिए कई-कई दिनों तक घरों से बाहर रहना पड़ता था और पीछे से उनके कुत्तों का ख्याल रखने वाला कोई नहीं होता.
ऐसा भी देखा गया कि कुत्ते को यह कह कर डॉग हाउस में छोड़ दिया गया कि सब घरवाले कुछ दिन के लिए बाहर जा रहे हैं. लेकिन बाद में हकीकत खुली कि घर में कोविड-19 मरीज होने की वजह से ऐसा किया गया और डॉग हाउस संचालक से ये बात छुपाई गई.
वहीं एक पति ने आकर डॉग हाउस संचालक से कहा कि उसकी पत्नी कोविड-19 संक्रमित होने की वजह से अस्पताल में है और उसके घर पर कुत्ते का ठीक से ख्याल रखने वाला कोई नहीं है.
इस स्थिति से बचने के लिए डॉग हाउस ने कोरोना संक्रमितों के घरों के कुत्तों को भी अपने यहां रखना शुरू कर दिया. जब तक मरीज कोरोना से पूरी तरह ठीक नहीं हो जाता, तब तक कुत्ते को डॉग हाउस में रखा जा सकता है. यहां कुत्तों को दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी का खास ध्यान रखा जाता है. गर्मी के दिन होने की वजह से डॉग हाउस में कुत्तों के शेल्टर के पास कूलर भी लगाए गए हैं. इसके अलावा उनको वक्त वक्त पर खुले में घुमाया भी जाता है.
पुणे में डॉग हाउस और पेट्स होम के कुछ संचालकों से आज तक ने बात की. मीरा ठोसर पिछले 20 साल से पुणे के पास सिंहगड इलाके में यही काम कर रही हैं. मीरा के मुताबिक उनके पास कुत्ते छोड़ने वाले लोग इस तरह की बात करते थे कि दो हफ्ते के लिए गांव जाना पड़ रहा है तब तक इसकी देखभाल कर लीजिए. फिर बाद में हिचक के साथ स्वीकार करते थे कि घर में किसी को कोरोना हो गया है, इसलिए कुत्ते को पेट्स होम में रखने के अलावा कोई चारा नहीं है.
मीरा ठोसर के पेट्स होम की अपने कुत्ते के लिए सर्विस ले चुके मंदार भिड़े ने इस बारे में अपना अनुभव बताया. भिड़े के मुताबिक वो पुणे में सिंहगड रोड पर ही श्रीनिवास क्रॉस ओवर काउंटी सोसाइटी के एक फ्लैट में रहते थे. पिछले साल मार्च में जब महाराष्ट्र का पहला कोरोना मरीज पुणे में उन्हीं की सोसाइटी से सामने आया तो उस वक्स सारा इलाका कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया गया. भिड़े का अपने डॉग के साथ घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया. तब उन्होंने उसे मीरा ठोसर के पेट्स होम में 15 दिन के लिए भेजने का फैसला किया.

रिया सयाजी एक इंजीनियर हैं. वे पिछले 15 साल से पेट्स को संभालने का काम कर रही हैं. रिया पुणे में तीन पेट्स होम का संचालन करती हैं. रिया के मुताबिक पिछले 13 महीनों में ऐसे कई लोगों ने अपने पेट्स को उनके पास छोड़ा जो या तो कोरोना से संक्रमित थे या आइसोलेशन में रह रहे थे. पेट्स होम की ओर से पेट्स को घरों से पिकअप और ड्रॉप करने की सुविधा भी दी जाती है.
मुंबई के घाटकोपर इलाके में रहने वाले 40 साल के शशांक सिंह ने आजतक को बताया कि फिलहाल उनका जर्मन शेफर्ड कुत्ता मीरा ठोसर की ओर से संचालित हैप्पी टेल्स डॉग केनल में है. कुछ दिन पहले उनके घर के कुछ सदस्य कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए. तब शशांक ऐसे डॉग होम की तलाश में थे जहां उनका कुत्ता खुश भी रहे और खेलने के लिए उसे काफी जगह भी मिले. अब मुश्किल थी कि मुंबई से पुणे कुत्ते को कैसे पहुंचाया जाए. मीरा ठोसर ने पिकअप की व्यवस्था करके शशांक की ये मुश्किल भी दूर कर दी.
पूजा गायकवाड का डॉग हाउस पुणे के कोंडवा इलाके में है. कोरोना महामारी के पिछले साल दस्तक देने के बाद से इस डॉग हाउस में पिछले 13 महीनों में 50 से अधिक कुत्ते देखभाल के लिए आए. इन डॉग हाउस में कुत्ते को रखने के लिए एक दिन के आठ सौ रुपए तक लिए जाते हैं. इनके संचालकों का कहना है कि एक कुत्ते के रखरखाव पर ही एक दिन में 500 रुपए खर्च आता है.
बेंगलुरु शहर में रहने वाली पूर्वा तावरे ने बताया कि पुणे में उनके घर पर माता-पिता में कोरोनावायरस संक्रमण के लक्षण पाए गए. घर में तीसरा और कोई सदस्य नहीं था जो पेट डॉग की देखभाल कर पाता. उन्होंने बेंगलुरु से ही पुणे में राठौर डॉग होम से संपर्क किया. बेंगलुरु से ही सारी व्यवस्था करते हुए पूर्वा ने टैक्सी से कुत्ते को डॉग होम में भिजवा दिया. जब पूर्वा के माता-पिता रिकवर हो गए तो कुत्ते को डॉग होम से वापस बुला लिया गया.
पेट्स से संक्रमण फैलने का कितना है खतरा?
क्या कुत्ते बिल्ली जैसे पेट्स के जरिए कोरोनावायरस के फैलने का खतरा होता है? इस सवाल का जवाब हमने पुणे के जाने माने वेटरनरी डॉक्टर मिलिंद हाटेकर से जानने की कोशिश की. उनका कहना है कि कुत्ते-बिल्लियों जैसे पेट्स से कोरोनावायरस नहीं फैलता. ये संक्रमण केवल एक इंसान से ही दूसरे इंसान में फैलता है. ब्रिटिश वेटनरी एसोसिएशन की ओर से भी पहले साफ किया जा चुका है कि पालतू जानवरों के मालिकों को उनसे संक्रमण होने के खतरे को लेकर फिक्र नहीं करनी चाहिए. अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है कि पालतू जानवर या दूसरे जानवर कोविड-19 संक्रमण का प्रसार कर सकते हैं.