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महाराष्ट्र पुलिस के टेंडर पर उठे सवाल,जांच की मांग

मुंबई के एक संगठन ने गृह मंत्री आर आर पाटिल को शिकायत की है कि महाराष्ट्र पुलिस जूतों और लाठियों को खरीदने के लिए अतिरिक्त 3 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. जबकि उन्‍हीं जूतों और लाठी के लिए राजस्थान, छत्तीसगढ़ और दिल्ली की पुलिस कम खर्च पर खरीददारी कर रही है.

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मुंबई के एक संगठन ने गृह मंत्री आर आर पाटिल को शिकायत की है कि महाराष्ट्र पुलिस जूतों और लाठियों को खरीदने के लिए अतिरिक्त 3 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. जबकि उन्‍हीं जूतों और लाठी के लिए राजस्थान, छत्तीसगढ़ और दिल्ली की पुलिस कम खर्च पर खरीददारी कर रही है. हालांकि इस विषय पर होम मिनि्स्टर ने अब तक कोई इन्क्वायरी शुरू नहीं की है. लेकिन पुलिस का दावा है कि उनकी ओर से कंपनियों को टेंडर देने में कोई चूक नहीं हुई है.

आरोप लग रहा है कि महाराष्ट्र पुलिस जानबूझकर जूतों और लाठियों को खरीदने पर करीब 3 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च कर रही है. जबकि उन्हीं जूतों पर दूसरे राज्यों के पुलिस डिपार्टमेंट कम खर्च पर खरीदने की प्रक्रिया में लगे हैं.

दरअसल महाराष्ट्र पुलिस ने 13 जून को एक टेंडर जारी किया. जिसमें पुलिस विभाग ने 60,000 जोड़ी डीआइपी पीयू पेट्रोलिंग शू,1 लाख जोड़ी डीआइपी पीयू ब्लैक ऑक्सफोर्ड शू, 60,000 जोड़ी पॉलीकार्बोनेट लाठी की मांग रखी.

देश के कोने-कोने से 10 कंपनियों ने अपना कोटेशन भेजा. पूरी प्रक्रिया के बाद महाराष्ट्र पुलिस ने सबसे कम कोटेशन देने वाली तीन कंपनियों को चुना और उन्हें सैंपल बनाने के निर्देश दिए. ये तीन कंपनियां हैं- लिबर्टी जिसका न्यूनतम कोटेशऩ था- 844 रुपया प्रति जोड़ी, ऑक्सफोर्ड शूज के लिए रहमान इंडस्ट्रीज लिमिटेड जिसका कोटेशन था- 909 रुपया प्रति जोड़ी और पॉलीकार्बोनेट लाठी के लिए फोनिक्स ट्रेडर्स जिसका कोटेशन था 225 रुपया प्रति लाठी.

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इस रेट के हिसाब से महाराष्ट्र पुलिस को अपनी जेब से पैट्रोलिंग शूज के लिए 5 करोड़ 6 लाख 40 हजार रुपये देने होंगे. जबकि ऑक्सफोर्ड शूज के लिए 9 करोड़ 9 लाख रुपये देने होंगे और पॉलिकार्बोनेट लाठी के लिए एक करोड़ 35 लाख रुपये देने होंगे. कुल मिलाकर महाराष्ट्र पुलिस को 15 करोड़ 50 लाख 40 हजार रुपये का खर्चा उठाना होगा.

आज तक के हाथ लगे ब्यौरे के मुताबिक राजस्थान पुलिस ने 60,000 जोड़ी पैट्रोलिंग शू के लिए आगरा की स्वास्तिक बूट फैक्ट्री कंपनी से 650 रुपये की कीमत पर तय किया. दिल्ली पुलिस ने ब्लैक ऑक्सफोर्ड शू के लिए सोनीपत के एक्सओ फूटवेयर कंपनी को 789 रुपये की कीमत पर तय किया. जबकि छत्तीसगढ़ पुलिस ने पॉलिकार्बोनेट लाठी के लिए कानपुर के एवी टेक कंपनी से 139 रुपये की कीमत पर तय किया.

यानी दूसरे राज्यों की दर पर महाराष्ट्र पुलिस टेंडर के जरिए खरीददारी करती है तो खर्चा 12 करोड़ 62 लाख 40 हजार रुपये आएगा. यानी पहले के मुकाबले 2 करोड़ 88 लाख रुपये यानी लगभग 3 करोड़ का अंतर.

इस शिकायत में महाराष्ट्र पुलिस के टेंडर के खिलाफ जांच की मांग की गई है. ताकि महाराष्ट्र सरकार को तीन करोड़ का नुकसान ना हो. साथ ही ये भी आरोप लगाया गया है कि जिन कंपनियों को टेंडर दिए जाने की बात चल रही है उसके पीछे एक कार्टेल काम कर रहा है. इस मुद्दे पर आज तक ने महाराष्ट्र पुलिस के एडिशनल डायरेक्टर जनरल संदीप विश्नोई से फोन पर बातचीत की. अपनी सफाई में उन्होंने कहा कि यह एक ई-टेंडर था. इसमें दूसरे राज्यों की कंपनियों ने भी भाग लिया था. जिनका सबसे कम कोटेशन और लैब टेस्ट के मुताबिक बढ़िया प्रोडक्ट था, उन्हीं को इसमें भाग लेने का मौका दिया गया है.

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विश्नोई के मुताबिक, टेंडर की जरुरत एडवांस्ड तकनीक वाले डीआइपी प्रोडक्ट की थी ना कि हल्के मॉल्डिंग वाले प्रोडक्ट की. इसलिए मांगे गए जूतों और लाठियों की कीमत ज्यादा हो गई. बल्कि महाराष्ट्र पुलिस ने पैट्रोलिंग वाले जूते की कीमत को 844 से घटा कर 830 रुपया करवा लिया है. अपनी सफाई में पुलिस ने कहा है कि शिकायत करने वाले वे लोग हैं जिनके टेंडर रिजेक्ट कर दिए गए हैं.

इस वक्त तीन कंपनियों को सेलेक्ट किया गया है. उन्हें सैंपल आइटम बनाने के लिए कहा गया है. पूरी जांच के बाद ही कंपनी को परचेजिंग ऑर्डर दिया जायेगा. साथ ही किसी भी कंपनी को एडवांस्ड भुगतान नहीं किया गया है. यदि गृह मंत्रालय इस संबंध में जांच का आदेश देता है तो महाराष्ट्र पुलिस इसके लिए तैयार है.

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