महाराष्ट्र की देवेंद्र फड़नवीस सरकार शुक्रवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने जा रही है. सरकार के लिए राहत की बात यह है कि अब तक नाराज चल रही शिवसेना अब कैबिनेट विस्तार में हिस्सा लेगी. सीएम और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच फोन पर भी बात हुई है. शिवसेना को गृहराज्य मंत्री का पद मिल सकता है.
शिवसेना के कोटे से गुलाब राव पाटिल और अर्जुन कोटकर को मंत्री पद मिलने की संभावना है. पाटिल को एकनाथ खडसे का विरोधी माना जाता है, क्योंकि उनके मंत्री पद से इस्तीफे के बाद इन्होंने ही आतिशबाजी की थी. इस विस्तार में बीजेपी के वरिष्ठ नेता पांडुरंग फुंदकर को एक बार फिर सक्रिय राजनीति में लाने की चर्चा जोरों पर है. उन्हें एकनाथ खडसे की जगह मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है.
गौरतलब है कि पहले बीजेपी ने दो सीटें गठबंधन के दलों के लिए छोड़ रखी थीं, जबकि शिवसेना अपने लिए एक अतिरिक्त मंत्रिमंडल सीट की मांग कर रही थी. इस कारण दोनों दलों में नाराजगी घर कर गई थी, वहीं अब शिवसेना को 2 सीटें मिल रही हैं. हालांकि यह साफ नहीं हो पाया है कि यह एक अतिरिक्त सीट बीजेपी कोटे से मिलेगी या गठबंधन कोटे से.
इनके नाम पर लग सकती है मुहर
कैबिनेट विस्तार को लेकर जिन नेताओं के नाम की चर्चा है, उनमें बीजेपी खाते से पांडुरंग फुंदकर (एमएलसी), सुभाष देशमुख, जयकुमार रावल, मदन येरावर, संभाजी निलांगकर पाटिल, रविंद्र चवन शामिल हैं. जबकि गठबंधन के दलों में राष्ट्रीय समाज पार्टी से महादेव जनकर और स्वाभिमानी शेतकारी संगठन से सदा भाऊ खोट के नाम सामने आए हैं.
यह विस्तार फड़नवीस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. क्योंकि राज्य में उसकी सहयोगी शिवसेना नाराज है. माना जा रहा है कि बीजेपी शिवसेना की नाराजगी दूर करने के लिए कैबिनेट में पार्टी का एक और मंत्री शामिल कर सकती है.
बीजेपी पांच खाली पदों पर दो कैबिनेट मंत्री और 3 राज्यमंत्रियों को रख सकती है. शिवसेना को सरकार गठन के समय 10 पद दिए गए थे. इसमें से 8 पर पहले ही शिवसेना के मंत्री हैं. फिलहाल शिवसेना के 5 मंत्री कैबिनेट में शामिल हैं और 3 को राज्यमंत्री का पद मिला हुआ है. अब शिवसेना के हिस्से में 2 राज्यमंत्रियों की जगह खाली है. लेकिन शिवसेना कैबिनेट में अपने दो मंत्रियों को शामिल करने पर अड़ी हुई है.
सहयोगी दलों का बढ़ा दवाब
शिवसेना के अलावा बीजेपी के ऊपर अन्य छोटे सहयोगी दलों का भी दबाव बना हुआ है. स्वाभिमानी शेतकारी संगठन और आरएसपी जैसे दल भी अपने हिस्से की मांग कर रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों सहयोगी दलों के एक-एक सदस्य को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है.
अगर शिवसेना की मांग न मानी गई तो वह एक बार फिर हंगामा कर सकती है. महाराष्ट्र में अगले साल निगम चुनाव होने हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस संतुलन बनाने की कोशिश करेंगे. ताकि किसी भी दल को नाराज न किया जाए.