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जयदेव बोले- बाल ठाकरे मुझे अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे

शिवसेना के दिवंगत अध्यक्ष बाल ठाकरे के बेटे जयदेव ठाकरे ने मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में दावा किया कि उनके पिता उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे लेकिन वह खुद इसके लिए इच्छुक नहीं थे जबकि उनकी पूर्व पत्नी स्मिता की अपनी खुद की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं थीं.

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शिवसेना के दिवंगत अध्यक्ष बाल ठाकरे के बेटे जयदेव ठाकरे ने मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में दावा किया कि उनके पिता उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे लेकिन वह खुद इसके लिए इच्छुक नहीं थे जबकि उनकी पूर्व पत्नी स्मिता की अपनी खुद की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं थीं.

दूसरे दिन छोटे भाई उद्धव ठाकरे के वकीलों के पूछने पर जयदेव ने बताया कि उनके दादा की 1973 में मौत के बाद से वो अपनी पिता की मदद करने लगे थे. बाल ठाकरे के बड़े बेटे बिंदु माधव अपने व्यापार और फिल्मों से जुड़े कामो में लग गए थे. उस समय उद्दव अपने हॉबी फोटोग्राफी को लेकर काफी सीरियस थे और इसलिए उनके पिता अपने राजनीतिक कामों को लेकर उन्हीं पर निर्भर थे. इस दौरान उन्होंने जयदेव को राजनीति‍ से जुड़ने के लिए भी कहा. लेकिन जयदेव का मानना था कि राजनीति‍ बुरी चीज होती है, जिसमें रिश्तों का महत्त्व नही होता. इसलिए उन्होंने अपने पिता को कह दिया था कि वो राजनीति‍ में नहीं आना चाहते.

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जयदेव ने कहा- उद्धव ने राशन कार्ड से नाम हटाने की साजिश रची
जयदेव में भरी अदालत में ये आरोप लगाया कि परिवार के राशन कार्ड से उनका नाम हटाने का षड़यंत्र उद्धव ने ही रचा था. जयदेव ने बताया कि 2003 से ही घर में उद्धव का प्रभाव रहने लगा था और उस समय एक शख्स ने एके उन्हें एक कागज पर हस्ताक्षर करने को कहा जिससे उनका नाम राशन कार्ड से हट जाता. उस शख्स से जयदेव ने पूछा था कि ये किसने करने को बोला है तो उसने कहा साहेब ने. जयदेव का कहना था कि उनके लिए एक ही साहेब थे वो उनके पिता थे. इसलिए इन्होंने अपने पिता से इस बारे में पूछा तो बाल ठाकरे ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया. उन्होंने ये तक कहा कि वो इस शरारत की जड़ तक जा कर पता करंगे कि‍ आखिर ये किसने किया. उद्धव के वकील ने जयदेव से पूछने की कोशिश की की आखिर उद्धव ने ही ये किया ये उन्हें कैसे लगा. लेकिन जयदेव ने यही जवाब दिया.

जयदेव की पत्नी को अदालत से बाहर जाने के लिए कहा
जयदेव की पत्नी अनुराधा भी अदालत में मौजूद थीं लेकिन उन्हें बाहर जाने के लिए कहा गया. इस दौरान जयदेव ने बताया कि 1991 के आसपास उनकी मां मीना ठाकरे ने घर को तोड़कर वपस बनाने की बात कही थी. ये प्लान माता-पिता ने सबसे पहले जयदेव को ही बताया था और उसके बाद बाकी सदस्यों को. लेकिन उसी वक्त बिंदू माधव ने घर में अपना हिस्से पर दावा छोड़ दिया था. बिंदू माधव का अपना घर था, व्यापार था और उसी समय उनके बच्चों की परीक्षा भी थी. इन्ही वजहों से उन्होंने घर पर दावा नहीं किया. उनके अनुसार घर में फिर उद्धव, जयदेव और उनके माता-पिता के रहने और राजनीतिक काम करने के लिए जगह बनाई गई.

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वकील ने पूछा- मातोश्री में वापस रहने क्यों नहीं आए?
उद्धव के वकील रोहित कपाड़‍िया ने जयदेव से पूछा कि‍ क्या उन्होंने घर को बनाने के लिए पैसे खर्च कोई थे और क्या उनके पास इसका कोई सबूत है? इस पर जयदेव ने कहा कि घर के लिए जब सामान आता था तो कोई भी पैसे दे देता था, कई बार उन्होंने भी कैश दिया, पर इसकी कोई रसीद उनके पास नहीं है. इस पर कपाड़‍िया ने उनसे पूछा की जब घर तैयार हो गया तब वो वापस मातोश्री में क्यों नहीं आए. इस पर जयदेव ने कहा कि घर की पहली मंजिल उन्होंने खुद अपनी जरूरतों के हिसाब से तैायार की थी और उसमें उनका सामन भी रखा था. लेकिन तब उनकी पत्नी स्मिता ठाकरे जो बार-बार राजनीति में उतरने की बात करती थी और ये बात उन्हें बिल्कुल रास नहीं आ रही थी.

पिता के साथ दिन में मातोश्री में रहता था: जयदेव
उन्होंने स्मिता को समझाने को बहुत कोशिश की थी ताकि वो जयदेव और उनके बेटे पर ध्यान दें. इसके लिए जयदेव अपने परिवार को लेकर कालीन में एक फ्लैट में भी रहने लगे. जयदेव ने कहा कि जब मातोश्री तैयार हो गया और सब वहां वापस रहने के लिए जाने लगे, तब उनके पिता ने ही उनसे कहा कि वो स्मिता के साथ कालीन में रहे. उन्हें भी स्मिता का शिव सेना पार्टी की राजनीति‍ में हस्तक्षेप करना रास नहीं आ रहा था. जयदेव का कहना था कि इस दौरान वो अपने पिता के साथ दिन में मातोश्री में रहते और रात में कालीन में.

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जयदेव का बयान दर्ज करने का सिलसिला बुधवार को भी जारी रहेगा.

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