महाराष्ट्र के पालघर जिले में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है, जहां एक प्रसूता को एंबुलेंस ड्राइवर की कथित लापरवाही के कारण अपने नवजात बच्चे के साथ 2 किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर होना पड़ा. अमला गांव की रहने वाली 20 साल की साविता बराट 19 नवंबर को प्रसव पीड़ा के कारण मोखाड़ा ग्रामीण अस्पताल में भर्ती हुई थीं. यहां प्राथमिक जांच के बाद उन्हें जव्हार के कुटीर अस्पताल रेफर किया गया, जहां उसी दिन उनका सुरक्षित प्रसव हुआ.
स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, 24 नवंबर को डिस्चार्ज के बाद महिला को एंबुलेंस से घर पहुंचाया जा रहा था. लेकिन आरोप है कि ड्राइवर ने अमला गांव से लगभग 2 किलोमीटर पहले ही वाहन रोक दिया और वहीं उन्हें छोड़कर चला गया. उस समय साविता अपने नवजात शिशु को गोद में लिए हुई थीं और उनके साथ उनकी मां व सास भी थीं. मजबूरी में तीनों को लंबा रास्ता पैदल तय करना पड़ा.
इस घटना के सामने आते ही स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया. परिवार ने एंबुलेंस सेवा पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि जिस सेवा का उद्देश्य प्रसूता और शिशु की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, वही उनके लिए जोखिम का कारण बन गई.
मामले की गंभीरता को देखते हुए मोखाड़ा तालुका के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. भाऊसाहेब छत्तर ने तत्काल जांच के आदेश दिए. उन्होंने बताया कि ड्राइवर के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है और रिपोर्ट आने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि घटना की जानकारी मिलते ही मेडिकल टीम को महिला के घर भेजा गया, जहां मां और बच्चे की स्थिति की जांच की गई. दोनों फिलहाल सुरक्षित बताए गए हैं.
डॉ. छत्तर ने यह भी कहा कि शुरुआती जानकारी में कुछ परिजनों द्वारा ड्रॉप पॉइंट बदलने का अनुरोध किए जाने की बात सामने आई है, लेकिन इस दावे की अभी पुष्टि होना बाकी है. इसलिए जांच पूरी होने तक किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाज़ी होगी.
यह घटना एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में एंबुलेंस सेवाओं की विश्वसनीयता और जवाबदेही पर प्रश्नचिह्न लगाती है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो ऐसी घटनाएं भविष्य में और गंभीर रूप ले सकती हैं.