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लाउडस्पीकर विवादः महाराष्ट्र सरकार की सर्वदलीय बैठक से BJP और राज ठाकरे ने किया किनारा, क्या हुआ हासिल?

मुंबई सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से राज ठाकरे और भारतीय जनता पार्टी ने किनारा कर लिया. वहीं आदित्य ठाकरे ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन पूरे देश में होना चाहिए, किसी एक राज्य में नहीं.

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लाउस्पीकर विवाद पर महाराष्ट्र में सर्वदलीय बैठक (प्रतीकात्मक तस्वीर)
लाउस्पीकर विवाद पर महाराष्ट्र में सर्वदलीय बैठक (प्रतीकात्मक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सरकार से संवाद की गुंजाइश खत्म- देवेंद्र फडणवीस
  • पूरे देश में लागू हो SC का आदेश- आदित्य ठाकरे

महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर को लेकर छिड़ा सियासी घमासान थमता नजर नहीं आ रहा. महाराष्ट्र सरकार ने लाउडस्पीकर विवाद को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. सोमवार को बुलाई गई इस बैठक से विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने किनारा कर लिया तो वहीं, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे भी नहीं पहुंचे.

एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने मस्जिदों पर से लाउडस्पीकर्स हटाने के लिए एमवीए सरकार को 3 मई तक का अल्टिमेटम दिया है. कानून-व्यवस्था न बिगड़े, इसे लेकर ही गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. इस बैठक की शुरुआत से पहले विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. बीजेपी के नेताओं को जानबूझकर टारगेट किया जा रहा है. उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं. ऐसे में सरकार से संवाद की गुंजाइश खत्म हो चुकी है.

फडणवीस ने ये भी दावा किया कि गृह विभाग को पूरी तरह से मुख्यमंत्री चला रहे हैं. इतनी अहम बैठक में वे भी शामिल नहीं हो रहे हैं. उन्होंने सवाल किया कि क्या ये बैठक सिर्फ टाइमपास के लिए की जा रही है. विपक्ष के नेता के आरोप पर महाराष्ट्र के गृह मंत्री पाटिल ने कहा कि ये बैठक गृह विभाग की ओर से बुलाई गई. इसमें मुख्यमंत्री के शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता.

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बैठक के बाद मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने स्पष्ट किया की किसी भी हालत में राज्य की कानून व्यवस्था को बिगड़ने नहीं दिया जाएगा. इसे लेकर सभी दलों ने सहमति जताई है लेकिन राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस का प्रतिनिधिमंडल अपने स्टैंड पर कायम था. एमएनएस के प्रतिनिधियों ने ये भी कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का सम्मान करते हैं और कानून-व्यवस्था की स्थिति को बिगड़ने देना नहीं चाहते. एमएनएस नेता बाला नांदगांवकर ने सवाल किया कि 12 महीने तक लाउडस्पीकर को अनुमति कैसे दी गई.

आदित्य ठाकरे ने केंद्र पर उठाई अंगुली

महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने इस विवाद को लेकर केंद्र सरकार की तरफ अंगुली उठाई. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से 2005 में दिए गए आदेश का पालन पूरे देश में होना चाहिए, किसी एक राज्य में नहीं. ऐसे में केंद्र सरकार को लाउडस्पीकर को लेकर एक समान कानून बनाने के बारे में सोचना चाहिए.

आदित्य ने आगे कहा कि ये मुद्दा मंदिर या मस्जिद का नहीं, बल्कि ध्वनि प्रदूषण से जुड़े कानूनों का है. महाराष्ट्र में 2015 से 2017 के बीच कई जीआर (गवर्नमेंट रेजोल्यूशन) के जरिए इंडस्ट्रियल, कमर्शियल और रेजिडेंशियल इलाकों में साउंड की लिमिट तय की गई. धार्मिक उत्सवों में लाउडस्पीकर पर रोक लगाने की बात करें तो इससे धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं. उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील भी की.

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पुलिस अधिकारियों से चर्चा कर लेंगे निर्णय- दिलीप वलसे पाटिल

एआईएमआईएम और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने बैठक में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कराए जाने को लेकर चर्चा कराए जाने पर सहमति जताई. उनका कहना था कि अब राज ठाकरे के अल्टिमेटम को लेकर क्या कदम उठाने हैं, ये सरकार ही तय करे. सूबे के गृह मंत्री पाटिल ने कहा कि नई गाइडलाइंस बनाने की जरूरत है या नहीं, इसे लेकर पुलिस महकमे के वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा करने के बाद निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार का काम लाउडस्पीकर उतारना नहीं, नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई करना सरकार का काम है.

अब सवाल ये भी उठता है कि आखिर सरकार की ओर से बुलाई गई इस सर्वदलीय बैठक से कोई हल निकला या सिर्फ केंद्र की तरफ अंगुली उठाकर राजनीति को तुल देने का ही काम किया गया. ये 3 मई के बाद ही पता चलेगा.

 

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