scorecardresearch
 

'फेल योजना' केंद्र सरकार को बेचने में जुटे शिवराज

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य में किसानों के लिए शुरू की गई ‘भावांतर भुगतान योजना’ की केंद्र के सामने मार्केटिंग में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

Advertisement
X
एमपी के सीएम श‍िवराज
एमपी के सीएम श‍िवराज

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य में किसानों के लिए शुरू की गई ‘भावांतर भुगतान योजना’ की केंद्र के सामने मार्केटिंग में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. केंद्र सरकार भी इस योजना को देश भर में उतारने के लिए दिलचस्पी दिखा रही है. अब ये बात अलग है कि ये योजना मध्य प्रदेश में ही बदहाल है.  

दरअसल, इस योजना के तहत जिन किसानों ने नवंबर में अपने उत्पाद बेचे थे, उनमें से अधिकतर को जो पैसा देने का वादा किया गया था, वो उन्हें अभी तक नहीं मिला. बुंदेलखंड के सूखा प्रभावित इलाकों में बदहाली की ये हालत है कि किसानों ने रोजी-रोटी की तलाश में बड़े पैमाने पर शहरों की ओर पलायन शुरू कर दिया है.

बता दें कि शिवराज सिंह चौहान ने विगत 27 दिसंबर को भावांतर भुगतान योजना पर विचार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात की थी. इसके तीन दिन बाद ही टीकमगढ़ जिले के बलदेवगढ़ गांव के एक किसान ने घर के बाहर ही फंदा डालकर खुदकुशी कर ली. हजारी नाम के इस किसान ने घर की दीवार पर ही खुद पर बकाया कर्ज की रकम भी लिख दी.

Advertisement

भावांतर भुगतान योजना के तहत दावा किया गया था कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)  और मॉडल कीमतों (MP) के बीच जो भी अंतर होगा उसकी भरपाई की जाएगी. मॉडल कीमतें तीन अलग राज्यों में कृषि उत्पाद के औसत बिक्री मूल्य के आधार पर तय की जानी थीं. खुदकुशी करने वाले किसान हजारी को भावांतर भुगतान योजना को कोई लाभ नहीं मिला क्योंकि फसल बर्बाद हो जाने के बाद उसके पास बेचने के लिए कुछ बचा ही नहीं था.  

 किसानों की ये बदहाली टीकमगढ़ जिले तक ही सीमित नहीं है. पड़ोसी पन्ना जिले से किसानों ने बड़ी संख्या में शहरों की ओर रुख करना शुरू कर दिया है. बारचेव गांव से करीब 400 किसान काम की तलाश में दिल्ली, गुरुग्राम और गाजियाबाद जैसे शहरों के लिए पलायन कर चुके हैं. इस गांव के कई घरों में अब बुजुर्ग और बच्चे ही देखे जा सकते हैं.  

सतना के आदिवासी बहुल मझघावन विकास ब्लॉक से 375 लोगों ने शहरी केंद्रों की ओर रुख किया है.

पन्ना की हरिजन बस्ती के रहने वाले किसान राम चरण अहिरवार का कहना है कि बस्ती से करीब 75 फीसदी लोग काम की तलाश में बाहर जा चुके हैं. फसल के बर्बाद होने और दूसरा रोजगार ना मिलने की वजह से लोग शहरों की तरफ पलायन के लिए मजबूर हुए हैं.  

Advertisement

यहीं के किसान सुरेंद्र ने कहा, ‘इन सभी घरों के लोग जिनके दरवाजों पर ताले लटके हुए आप देख रहे हैं, काम की तलाश में गांव छोड़कर जा चुके हैं.’

शिवराज सिंह चौहान उम्मीद लगाए बैठे हैं कि भावांतर भुगतान योजना के सहारे इस साल होने वाले प्रदेश विधानसभा चुनाव की वैतरणी पार कर लेंगे. लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि किसान इस योजना को लेकर ठगा महसूस कर रहे हैं. अधिकतर किसानों को अभी तक अभी कोई मुआवजा नहीं मिला है. जिन्होंने अक्टूबर में अपने उत्पाद बेचे थे उन्हें भी बहुत कम मुआवजा मिला है. सोयाबीन की फसल के लिए सरकार ने योजना के तहत एमएसपी और एमपी के बीच 450 रुपये प्रति क्विंटल अंतर की गणना की थी. लेकिन व्यापारियों ने योजना की घोषणा के बाद कीमतों से चालबाजी कर सोयाबीन के दाम 1200 रुपए प्रति क्विंटल तक गिरा दिए.  

विदिशा के किसान सरवन यादव ने बताया, 'मैंने दो महीने पहले 40 क्विंटल सोयाबीन बेची थी लेकिन आज की तारीख तक उसके बदले कुछ नहीं मिला है.'

विदिशा में 23,900 किसानों ने नवंबर में मंडियों में अपने उत्पाद बेचे. सरकार की गणना के हिसाब से भावांतर भुगतान योजना के तहत इन किसानों का 45 करोड़ रुपए बकाया बैठता है. सरकार के उच्च सूत्रों के मुताबिक सरकार के पास किसानों को बांटने के लिए अब पैसा नहीं है.

Advertisement

मुख्यमंत्री चौहान के गृह जिले सीहोर में 28,000 किसानों ने नवंबर में अपने उत्पाद बेचे, लेकिन उन्हें बदले में अभी तक एक पाई भी नहीं मिली है. मुख्यमंत्री अब इस योजना के लिए केंद्र से मदद की उम्मीद लगा कर इसकी मार्केटिंग केंद्र सरकार के सामने कर रहे हैं. अब ये बात अलग है कि उनके प्रदेश के किसान ही कोई लाभ हाथ नहीं आने की वजह से योजना को खारिज कर रहे हैं.

(पन्ना से दीपक शर्मा, विदिशा से प्रमोद शर्मा के इनपुट्स के साथ)

Advertisement
Advertisement