
मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता रहे लक्ष्मीकांत शर्मा का कोरोना से निधन हो गया है. वो 11 मई को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, जिसके बाद उन्हें भोपाल के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था लेकिन 31 मई को कोरोना से जंग हार गए. लक्ष्मीकांत शर्मा के निधन के बाद व्यापम कांड का एक अध्याय भी उनके साथ ही चला गया. दरअसल, लक्ष्मीकांत शर्मा पहली बार सुर्खियों में व्यापम परीक्षा घोटाले में आरोपी बनने के बाद ही आए थे.
विदिशा जिले की सिरोंज से चार बार के विधायक रहे लक्ष्मीकांत शर्मा का सिरोंज के मुक्तिधाम में मंगलवार को अंतिम संस्कार किया गया. उनके अंतिम संस्कार के समय भारी संख्या में उनके शुभचिंतक और पार्टी के कार्यकर्ता शामिल थे.
भोपाल के चिरायु अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. गंभीर स्थिति होने पर सोमवार को हैदराबाद से डॉक्टरों को भोपाल भी बुलाया गया था लेकिन जब डॉक्टरों की टीम अस्पताल पहुंची, उसके पहले ही इस कद्दावर नेता ने जीवन की अंतिम सांस ली. उनके निधन के बाद सिरोंज में व्यापारियों ने दुकानें बंद कर दी हैं.
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हिंदूवादी नेता के तौर पर रही पहचान
लक्ष्मीकांत शर्मा की राजनीतिक यात्रा एक हिंदूवादी नेता के रूप में हुई. लक्ष्मीकांत शर्मा सिरोंज के सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में आचार्य के पद पर थे. बाद में उन्होंने विश्व हिंदू परिषद और राम मंदिर आंदोलन से जुड़कर एक प्रखर हिंदूवादी नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई. उन्होंने 1993 में पहली बार सिरोंज विधानसभा से चुनाव लड़ा और पहली बार वहां से विधायक चुने गए. पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा साल 1998, 2003 और 2008 से लगातार सिरोंज लटेरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे. 2013 के चुनाव में वह 1700 मतों के अंतर से हार गए थे.
व्यापम ने खत्म किया राजनीतिक करियर!
पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा का साल 2013 में राजनीतिक कैरियर एक तरह से खत्म हो चुका था, जब उनका नाम व्यापम घोटाले में आया. इसी वजह से वह 18 माह जेल में भी रहे लेकिन जब उनकी रिहाई हुई तो लगभग 500 से ज्यादा गाड़ियों का काफिला भोपाल में जेल के बाहर उनका इंतजार करता रहा. वे किसी जन नेता की तरह ही इसी काफिले के साथ सिरोंज विधानसभा अपने गृह निवास पहुंचे थे.

लक्ष्मीकांत शर्मा के निधन पर समाजवादी पार्टी के मध्य प्रदेश के पूर्व प्रवक्ता यश यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि 'व्यापम घोटाले में सम्मलित 50 से अधिक आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है. घोटाले के समय तत्कालीन मंत्री जी लक्ष्मीकांत शर्मा भी अब दुनिया में नही रहे. कई राज वो अपने सीने में दफन कर चले गए, भाजपा ने उन्हें प्राथमिक सदस्यता से भी बाहर कर दिया था.'
व्यापम घोटाले में सम्मलित 50 से अधिक आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है , घोटाले के समय तत्कालीन मंत्री जी लक्ष्मीकांत शर्मा भी अब दुनिया मे नही रहे।
कई राज वो अपने सीने में दफन कर चले गए, भाजपा ने उन्हें प्राथमिक सदस्यता से भी बाहर कर दिया था।
विनम्र श्रद्धांजलि 🙏🏼 pic.twitter.com/Lfu7ktTnAb
इस ट्वीट के बाद अब कहा जा रहा है कि क्या वाकई कई राज वो अपने साथ लेकर चले गए? दरअसल व्यापम में गड़बड़ी का बड़ा खुलासा साल 2013 में पहली बार पीएमटी परीक्षा के दौरान तब हुआ, जब एक गिरोह इंदौर की अपराध शाखा की गिरफ्त में आया. यह गिरोह पीएमटी परीक्षा में फर्जी विद्यार्थियों को बैठाने का काम करता था.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले को अगस्त 2013 में एसटीएफ को सौंप दिया. हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और उसने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी गठित की, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच करता रही. 9 जुलाई, 2015 को मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला हुआ और 15 जुलाई से सीबीआई ने जांच शुरू की.
स्कैम में जेल पहुंचे थे लक्ष्मीकांत शर्मा!
सरकार के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओपी शुक्ला, बीजेपी नेता सुधीर शर्मा, राज्यपाल के ओएसडी रहे धनंजय यादव, व्यापम के नियंत्रक रहे पंकज त्रिवेदी, कंप्यूटर एनालिस्ट नितिन मोहिद्रा को जेल तक की हवा खानी पड़ी. इस मामले में सैंकड़ों लोग जेल जा चुके हैं, और कई अब भी फरार हैं. वहीं व्यापम घोटाले से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े करीब 4 दर्जन लोगों की अब तक मौत हो चुकी है.
मिली क्लीनचिट लेकिन राजनीति खत्म!
लक्ष्मीकांत शर्मा को एसटीएफ और बाद में सीबीआई व्यापम घोटाले से जुड़े कुल 6 मामलों में आरोपी बनाया था लेकिन उनके खिलाफ जांच में कुछ खास निकल कर सामने नहीं आया. बाद में उन्हे जमानत भी मिल गई और वो जेल से बाहर भी आ गए थे. व्यापम मामले में लक्ष्मीकांत शर्मा के अलावा तत्कालीन राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेश यादव का भी नाम सामने आया था जो बाद में लखनऊ स्थित पिता के सरकारी आवास पर संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए थे. साल 2019 में लक्ष्मीकांत शर्मा को क्लीनचिट मिल गई थी, लेकिन राजनीतिक करियर खत्म हो गया था.
क्या था व्यापम स्कैम?
दरअसल, व्यापम भर्ती घोटाला मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा भर्ती घोटाला माना जाता है. आरोप है कि इसके तहत मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले में फर्जीवाड़ा कर छात्रों का दाखिला करवाया गया, भ्रष्टाचार कर नौकरियां बांटी गईं. इस घोटाले से सरकार की इतनी किरकिरी हुई कि व्यापम का नाम बदलकर उसके बाद पीईबी यानि प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड कर दिया गया.
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