सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति के मामले में राज्य सरकार और यूपीएससी की जमकर खबर ली है. कोर्ट ने कहा कि यूपीएससी की तो ओवरहालिंग जरूरी हो गई है क्योंकि इस महत्वपूर्ण संस्था को पता ही नहीं रहता कि राज्यों में क्या हो रहा है और कहां क्या जरूरी है?
देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि हमारी ओर से नोटिस भेजने के बाद भी राज्य सरकार ने स्थायी नियुक्ति नहीं की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा एक मुकदमे में पक्षकार हैं तो किसी और को राज्य पुलिस का महानिदेशक बनाया जाए, लेकिन यूपीएससी और झारखंड सरकार ने कोर्ट के इस आदेश पर कान नहीं दिया.
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि यूपीएससी में तो आमूलचूल बदलाव यानी ओवरहालिंग की जरूरत है क्योंकि यूपीएससी को ये पता रहना चाहिए कि किस राज्य में क्या जरूरत है. अब इसी मामले में देखें तो राज्य सरकार कह रही है कि हमने यूपीएससी को पांच बार लिखा कि राज्य में डीजीपी की नियुक्ति के लिए पैनल बना दे. समय से यह नियुक्ति होनी बहुत जरूरी है क्योंकि नीरज सिन्हा को सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मुकदमे में अपना पक्ष रखने बार-बार जाना होता है.
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डीजीपी नीरज सिन्हा को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा को नोटिस जारी किया है. सुनवाई के दौरान अदालत ने झारखंड सरकार की ओर से डीजीपी की नियुक्ति किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई. इस मामले में अब दो सप्ताह बाद सुनवाई होगी.
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि झारखंड सरकार ने डीजीपी की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया है.
इससे पहले राज्य सरकार ने एमवी राव को प्रभारी डीजीपी बनाया और फिर उन्हें हटाकर नीरज सिन्हा को डीजीपी बना दिया. राज्य सरकार की ओर से ऐसा किया जाना गलत है.
इसके बाद राज्य सरकार ने नीरज सिन्हा की डीजीपी के पद पर स्थायी नियुक्ति कर दी. इस पर अदालत ने वर्तमान डीजीपी नीरज सिन्हा को इस मामले में प्रतिवादी बनाते हुए नोटिस जारी किया है.