झारखंड के लातेहार में एक शख्स की कथित तौर पर भूख से मौत हो गई. बताया जा रहा है कि 65 साल के रामचरण मुंडा ने तीन-चार दिनों से खाना नहीं खाया था. क्योंकि परिवार को तीन महीने से राशन नहीं मिला था. घर पर तीन दिनों से अन्न का एक दाना भी नहीं था. इतना ही नहीं कुछ दिनों से घर में चूल्हा तक नहीं जला था. हालांकि कि अधिकारी इस बात से इनकार कर रहे हैं कि मौत भूख से हुई है. उनका कहना है कि मामले की जांच की जा रही है.
रामचरण मुंडा की बेटी ने बताया, "तीन महीने से परिवार को राशन नहीं मिला था, इसलिए मेरे पिता ने चार दिनों से कुछ नहीं खाया था." बताया जा रहा है कि राशन बांटने वाले स्थानीय डीलर ने नेटवर्क का बहाना बनाकर तीन महीने से राशन का वितरण नहीं किया था. जबकि सरकारी अधिकारी इसके पीछे कुछ और ही कारण बता रहे हैं. एसडीएम ने ट्वीट कर इस पूरे मामले पर सफाई दी है.
SDM Sudhir Kumar: It hasn't yet been proved that he died from starvation. He was provided all benefits like Ayushman Bharat Yojana, Ration card, pension. There is no internet connection here, so we are now working on offline distribution. https://t.co/STxI7qtmGX
— ANI (@ANI) June 7, 2019
मौत की खबर मीडिया में आते ही आनन फानन में प्रशासन मदद के लिए आगे आया. रामचरण मुंडा के परिजनों को अनाज और दाह संस्कार के लिए पैसे दिए गए. मुंडा की मौत जांच का विषय है. लेकिन अगर मुंडा की मौत भूख से हुई है तो यह सरकारी मशीनरी के कामकाज पर सवालिया निशान खड़ा करता है.
Latehar: 65-yr-old Ramcharan Munda died allegedly from starvation y'day, because electronic machine used for biometric-based ration delivery wasn't working. His daughter says, "we haven't received ration since past 3 months. He hadn't eaten anything in past 4 days". #Jharkhand pic.twitter.com/m9pZbf8Cxc
— ANI (@ANI) June 7, 2019
एक ओर तो सरकार अपनी योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने की बात करती है. दूसरी ओर देश में भूख से मौत हो रही है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद मोदी की बंपर जीत पर विशेषज्ञों ने तर्क दिया था कि मोदी की योजनाओं के कारण जीत हुई है. ऐसे में अगर वाकई भूख से मौत हो रही है तो जमीनी हकीकत कुछ और ही है.