भारतीय जनता पार्टी के गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) के सर्टिफिकेट मामले में दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार और शिकायतकर्ता को जवाब पेश करने का आदेश दिया. सरकार को 3 सप्ताह में जवाब पेश करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह किसी भी तरह से सांसद को बेवजह परेशान न करे.
कार्यकर्ता विष्णुकांत झा ने सांसद की एमबीए डिग्री को फर्जी बताते हुए एफआईआर दर्ज करायी है. लोकसभा चुनाव के समय नॉमिनेशन में निशिकांत दुबे ने शैक्षणिक योग्यता में एमबीए डिग्री का हवाला दिया था. उसी डिग्री को फर्जी कहते हुए शिकायतकर्ता ने देवघर के सदर थाने में एफआईआर दर्ज करवायी थी. उसी एफआईआर को रद्द करने की मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई.
झारखंड हाई कोर्ट से सीबीआई जांच की मांग
सितंबर 2020 के पहले हफ्ते में गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ जमशेदपुर के दानिश ने झारखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी. दानिश ने निशिकांत दुबे की डिग्री पर सवाल उठाते हुए एमबीए की डिग्री की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी. साथ ही अदालत से आग्रह किया था कि सीबीआई को इस मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दें. वहीं, याचिकाकर्ता ने भारत के निर्वाचन आयोग से निशिकांत दुबे की लोकसभा सदस्यता तत्काल निरस्त करने की भी मांग की थी.
याचिकाकर्ता के अनुसार, निशिकांत दुबे ने वर्ष 2009, वर्ष 2014 और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग को जो हलफनामा दिया है, उसमें बताया कि उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से एमबीए की डिग्री भी ली है, लेकिन पिछले दिनों दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से एक आरटीआई के जवाब में कहा है कि निशिकांत दुबे नाम के किसी भी व्यक्ति ने दिल्ली विश्वविद्यालय से मैनेजमेंट की डिग्री नहीं ली है. याचिका में चीफ इलेक्शन कमिश्नर, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति, फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के निदेशक और निशिकांत दुबे को पक्षकार बनाया गया.