झारखंड में कोरोना के मामले काफी तेजी से बढ़ते दिख रहे हैं. जिस राज्य में पहली लहर के दौरान सबकुछ नियंत्रण में दिखाई पड़ रहा था, अब स्थिति पूरी तरह बदल गई है. कोरोना की दूसरी लहर ने झारखंड में कोहराम मचा दिया है. राज्य सरकार की तरफ से लॉकडाउन लगाया गया है, लेकिन कोरोना की चेन टूटती नहीं दिख रही. अब इसी बात को समझा है कि झारखंड की डीड राइटर्स एसोसिएशन ने जिन्होंने स्वैच्छिक लॉकडाउन की घोषणा कर दी है.
डीड राइटर्स का स्वैच्छिक लॉकडाउन
इस स्वैच्छिक लॉकडाउन के बाद से अब झारखंड में 15 मई तक फ्लैट और जमीन की रजिस्ट्री नहीं होने वाली है. वहीं सभी डीड राइटर्स निबंधन के काम से भी खुद को दूर रखेंगे. कहा जा रहा है कि जब तक झारखंड में स्थिति कंट्रोल में नहीं आ जाती, तब तक कार्य को फिर शुरू नहीं किया जाएगा. अब अगला फैसला 15 मई के बाद लिया जाएगा. अगर स्थिति ठीक रही, तो जमीन-फ्लैट की रजिस्ट्री फिर शुरू होगी, वहीं हालात बेकाबू रहे तो इस स्वैच्छिक लॉकडाउन को आगे भी बढ़ाया जा सकता है.
संघ के महामंत्री पुष्कर साहू ने कहा है कि कोरोना से हालात विस्फोटक बन गए हैं. अब जब तक इस कोरोना चेन को तोड़ा नहीं जाएगा, तब तक किसी को भी राहत नहीं मिलने वाली है. हम डीड राइडर भी घर के अंदर रहकर इस चेन को तोड़ने का प्रयास करेंगे. अगर सबकुछ ठीक रहा तो फिर 16 तारीख से रजिस्ट्री का काम शुरू कर दिया जाएगा. अब ये स्वैच्छिक लॉकडाउन जमीन पर कितना असर दिखाता है, क्या सही मायने में झारखंड में कोरोना के मामले कम होते हैं, इस पर सभी की नजर रहने वाली है.
झारखंड में कोरोना की डरावनी रफ्तार
अभी के लिए तो झारखंड में कोरोना की विस्फोटक स्थिति बनी हुई है. पिछले कुछ दिनों से लगातार रिकॉर्डतोड़ मामले दर्ज किए जा रहे हैं. पिछले 24 घंटे में राज्य में 6 हजार के करीब नए मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं 145 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. राज्य में मौत के आंकड़ों में भी जैसा इजाफा होता दिखा है, वो सभी को चिंता में डाल रहा है. अस्पतालों में बेड फुल हैं और ऑक्सीजन की किल्लत भी देखने को मिल रही है. दूसरे राज्यों की तरह यहां पर भी मरीज सिर्फ दर-दर भटकने को मजबूर दिख रहा है.