झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. दिनेश उरांव को विधानसभा नियुक्ति घोटाले में समुचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. राज्यपाल ने यह निर्देश इस मामले की जांच कर रही विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद की है.
गौरतलब है कि विक्रमादित्य आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट में तीन पूर्व विधानसभा अध्यक्षों के कार्यकाल के दौरान नियुक्ति और प्रोन्नति में बरती गई अनियमितता को लेकर गंभीर आरोप लगाए है. अगर आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई की गई तो कई कर्मियों की नौकरी जाएगी वहीं कई को अन्य कर्मियों को डिमोट भी किया जा सकता है.
क्या कहती है जांच रिपोर्ट?
झारखंड विधानसभा में अवैध तरीके से की गई नियुक्ति और प्रोन्नति मामले की जांच कर रही विक्रमादित्य आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि झारखंड विधानसभा के तीन पूर्व अध्यक्षों के कार्यकाल के दौरान विधानसभा ने नियुक्ति-प्रोन्नति के दौरान भारी गड़बड़ी हुई है. आयोग ने इस मामले में दोषी पाए गए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी, आलमगीर आलम, शशांक शेखर भोक्ता और विधानसभा के तत्कालीन प्रभारी सचिव अमरनाथ झा के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने की भी अनुशंसा की है.
इसी के साथ आयोग, तत्कालीन विधायक सरयू राय (वर्तमान में खाद्य आपूर्ति मंत्री) द्वारा विधानसभा को सौंपी गई सीडी की तकनीकी रूप से जांच नहीं कर सका. आयोग ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की है. बता दें कि सरयू राय ने यह सीडी सौंपकर विधानसभा में हुई नियुक्ति में बड़े पैमाने पर लेनदेन का आरोप लगाया था. रिपोर्ट की मानें तो विधानसभा में उन कर्मियों की भी बैकडोर से नियुक्ति कर दी गई थी, जिन्हें बिहार विधानसभा से हटा दिया गया था. ये कर्मी राज्य गठन के बाद फिर से झारखंड विधानसभा में नियुक्त कर दिए गए थे.
राज्यपाल की फाइल से भी हुई थी छेड़छाड़
आयोग ने अपनी जांच में पाया कि विधानसभा के तत्कालीन प्रभारी सचिव अमरनाथ झा ने राज्यपाल से स्वीकृत फाइल में भी छेड़छाड़ की थी. यह फाइल विधानसभा सहायकों के 75 पदों के सृजन को लेकर जारी की गई थी. इसमें छेड़छाड़ कर रिक्तियों की संख्या 75 से बढाकर 75+75 यानी 150 कर दी गई थी. आयोग ने जांच के क्रम में तेरह जगहों पर छेड़छाड़ पाई और इसकी पुष्टि राजभवन से भी कराई गई.
उल्लेखनीय है कि नियुक्ति का खेल झारखंड विधानसभा के गठन के साथ ही शुरू हो गया था. झारखंड के तत्कालीन राज्यपाल डॉ. सैयद अहमद ने विधानसभा नियुक्ति, प्रोन्नति घोटाले की जांच का आदेश दिया था. सबसे पहले जस्टिस लोकनाथ प्रसाद की अध्यक्षता में यह जांच आयोग गठित की गई थी. लेकिन बाद में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया. बाद में जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई और इस जांच आयोग के कार्यकाल का कई बार अवधि विस्तार हुआ.