झारखंड सरकार ने राज्य में डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने और मेडिकल कॉलेजों की सीटों को बेकार होने से बचाने को लेकर नए नियमों को मंजूरी दे दी है. इसके तहत मेडिकल कॉलेजों में डिग्री पाने के इच्छुक छात्रों को बेल बॉन्ड भरना होगा.
इसमें छात्रों को तीन साल तक राज्य में नौकरी करने और पढ़ाई के दौरान कॉलेज छोड़ने पर 30 लाख तक जुर्माना देना होगा. साथ ही फाइनल काउंसलिंग के बाद नामांकन नहीं करवाने पर अगले साल की परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं मिलेगी.
ऑल इंडिया या स्टेट कोटा के विरुद्ध एमबीबीएस या पीजी की डिग्री कोर्स में एडमिशन के लिए अंतिम राउंड की काउंसलिंग के बाद आवंटित सीटों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. कैबिनेट की मंजूरी से स्वीकार किए गए नियमावली में कहा गया है कि छात्र के एडमिशन के बाद कॉलेज छोड़ने पर एमबीबीएस कोर्स के लिए 20 लाख और पीजी के लिए 30 लाख रुपये एक मुश्त वापस करने होंगे.
बता दें कि पहले एमबीबीएस में कॉलेज छोड़ने पर 10 लाख और पीजी में 20 लाख रुपये दंड का प्रावधान था. वहीं छात्र को इस दौरान मिले सभी प्रकार के भत्ते और छात्रवृति के पैसे भी लौटाने होंगे. छात्रों की सुविधा के लिए इसमें एक और प्रावधान भी जोड़ा गया है. इसके तहत अगर राज्य सरकार डिग्री हासिल करने के छह माह के अंदर नौकरी देने में सफल नहीं होती है तो बॉन्ड को स्वत: समाप्त माना जाएगा. संबंधित छात्र कहीं भी नौकरी करने के लिए स्वतंत्र होगा.
डॉक्टरों की संख्या बढ़ाना मुख्य उद्देश्य
झारखंड इन दिनों डॉक्टरों की कमी से बुरी तरह जूझ रहा है. बहुत से छात्र मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद दूसरे राज्यों का रुख कर लेते है. ऐसे में सरकार ने इन नियमो को मंजूरी देकर इस पर लगाम लगाने का प्रयास किया है, ताकि छात्रों को राज्य में कम से कम तीन साल तक रोका जा सके.