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झारखंड में स्कॉलरशिप से लेकर पुल के निर्माण तक में गड़बड़ी, ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट में कई खुलासे

झारखंड की प्रधान महालेखाकार इंदु अग्रवाल ने सरकारी योजनाओं और पीएसयू के विशेष ऑडिट रिपोर्ट को सार्वजनिक किया. उन्होंने बताया कि कैसे ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी सुगम करने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना में गड़बड़ी की गई.

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झारखंड की ऑडिटर जनरल इंदु अग्रवाल.
झारखंड की ऑडिटर जनरल इंदु अग्रवाल.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 13 पुल के निर्माण में पाई गई गड़बड़ी
  • सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा

झारखंड की प्रधान महालेखाकार इंदु अग्रवाल ने सरकारी योजनाओं और पीएसयू के विशेष ऑडिट रिपोर्ट को सार्वजनिक किया. उन्होंने बताया कि कैसे ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी सुगम करने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना में गड़बड़ी की गई. उन्होंने बताया कि राज्य में 2019 तक 13 पुल का निर्माण किया गया था लेकिन कई में गड़बड़ी पाई गई हैं. सिर्फ रांची के तमाड़ में ही कांची नदी पर बनाए गए 3 पुल बह गए जिससे लगभग 100 गांव के लोग कट गए हैं.

इंदु अग्रवाल ने विस्तार से बताया कि किस तरह पुल-पुलिया के चयन में नियमों को ताक पर रख दिया गया. ग्रामीण इलाके में बनने वाले पुलों को शहरी क्षेत्र में बना दिया गया. हद तो तब हो गई कि कई पुलों के निर्माण से पहले मिट्टी जांच तक नहीं कराई गई. कई जगहों पर एक-एक किलोमीटर पर इस योजना के तहत पुल बना दिये गए जो सरकारी राशि की बर्बादी है. कई पुलों का पहुंच पथ आज तक बना ही नहीं.

विधानसभा को सौंपी ऑडिट रिपोर्ट में प्रधान महालेखाकार ने राज्य के पुल-पुलियों की जर्जर हालत का जिक्र करते हुए लिखा है कि रखरखाव के लिए जितनी राशि खर्च करनी है वो नहीं हो रही है. नतीजा ये है कि कई पुल जर्जर हो चुके हैं. किसी तरह के जानलेवा हादसे से बचने के लिए सभी जर्जर पुलों की मरम्मत और सेफ्टी ऑडिट की अनुशंसा प्रधान महालेखाकार ने की है.

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मिलकर छात्रवृति की राशि में की बंदरबाट

2016 के बाद चतरा जिला के कल्याण पदाधिकारी डीबीटी की जगह चेक के माध्यम से छात्रवृति की राशि फर्जी स्कूल और शिक्षण संस्थान के नाम पर निकासी कर उसकी बंदरबांट करते रहे. इस मामले में इंदु अग्रवाल ने कहा कि 70 करोड़ की राशि की फाइल जल जाने की सूचना दी गई है, बाकी के 15 करोड़ रुपये की जांच में ही कई गड़बड़ियां मिली हैं. उन्होंने कहा कि समय रहते अगर जिले के वरीय अधिकारी इसकी मॉनिटरिंग करते तो यह गड़बड़ी नहीं होती. इसी तरह गोड्डा में सड़क निर्माण का टेंडर जिस कम्पनी को दिया गया था उसने गारंटी मनी के नकली बैंक कागजात दिए थे. ऐसे में कंपनी से 5 करोड़ रुपये की उगाही नहीं हो सकी है.

पर्यटन के विकास के नाम पर सरकारी राशि की बंदरबांट

महालेखाकार ने राज्य में पर्यटन के विकास के लिए विकसित किये गए साइट को लेकर भी सवाल खड़े किये हैं और इस पर आपत्ति जताई है कि सरकारी राशि से बनाए गए भवनों और संसाधनों का लाभ सरकार की जगह निजी लोग उठा रहे हैं. उन्होंने कई विभागों में भी इसी तरह की अनियमितता और उससे सरकारी राजस्व के नुकसान का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार को गड़बड़ियों के लिए जवाबदेही तय कर देनी चाहिए. वहीं, सरकारी योजनाओं की सतत निगरानी जरूरी है, ताकि जनता के लिए बनीं योजनाओं का लाभ जनता को पूरी तरह मिल सके और आम जनता के पैसे का सदुपयोग हो सके.

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