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सरयू राय का आरोप- हेमंत सरकार बनने से पहले फाइलें जला रहे हैं अफसर

बीजेपी के बागी नेता सरयू राय का कहना है कि सचिवालय में मौजूद कई कागजों को गुपचुप तरीके से जलाया जा रहा है. इस संबंध में सरयू राय ने मुख्य सचिव डीके तिवारी को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री सचिवालय कार्यालय को तत्काल प्रभाव से कार्यवाहक कार्यलय तक ही सीमित रहने का निर्देश देने की मांग की है.

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रघुवर दास और सरयू राय
रघुवर दास और सरयू राय

  • सचिवालय में मौजूद कई कागजों को गुपचुप तरीके से जलाने का आरोप
  • सरयू राय ने ही पशुपालन घोटाले को किया था उजागर, SC तक किया संघर्ष

झारखंड के जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री रघुवर दास को पटखनी देने वाले सरयू राय ने कार्यवाहक सीएम पर गंभीर आरोप लगाए हैं. बीजेपी के बागी नेता सरयू राय का कहना है कि सचिवालय में मौजूद कई कागजों को गुपचुप तरीके से जलाया जा रहा है. इस संबंध में सरयू राय ने मुख्य सचिव डीके तिवारी को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में आगाह करते हुए लिखा गया है, 'नई सरकार के आने से पहले भवन निर्माण, पथ निर्माण और ऊर्जा विभाग की महत्वपूर्ण फाइलों को गुपचुप तरीके से जलाया जा रहा है. कुछ अधिकारी फाइलों को घर भी ले गए हैं.'

सरयू राय ने सभी संबंधित विभागों और सचिवालय से इस विशेष मुद्दे पर ध्यान देने का आग्रह किया है.

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पत्र में क्या लिखा गया...?

एक से अधिक विश्वसनीय एवं उच्चस्तरीय सूत्रों से जानकारी मिली है कि पुलिस विभाग के स्पेशल ब्रांच एवं सीआईडी प्रभागों में कतिपय महत्वपूर्ण सूचनाओं से संबंधित संचिकाओं को छांटकर नष्ट करने का काम किया जा रहा है. इसमें गृह विभाग के अंतर्गत आने वाले इन प्रभागों में संग्रहित अनौपचारिक सूचनाएं एवं जांच प्रतिवेदन शामिल हैं. इसी प्रकार भवन निर्माण विभाग, पथ निर्माण विभाग एवं ऊर्जा विभाग में भी महत्व की सूचनाओं से संबंधित संचिकाओं को नष्ट किया जा रहा है. इस सूचनाओं के आलोक में आपके स्तर से आवश्यक कार्रवाई की अपेक्षा है. इसके साथ ही ध्यन रखा जाए कि मंत्रिमंडल निगरानी विभाग के आधीन कार्यरत एसीबी आदि से संबंधित मामलों के निष्पादन की कार्रवाई नहीं हो.

नए मुख्यमंत्री के शपथग्रहण की तिथि आगामी 29 दसिबंर को निर्धारित हुई है. इसलिए मुख्यमंत्री सचिवालय कार्यालय को तत्काल प्रभाव से मात्र कार्यवाहक कार्यलय तक ही सीमित रहने का निर्देश आपके स्तर पर दिया जाना चाहिए और किसी प्रकार के नीतिगत विषयों पर निर्णय लेने से परहेज करना चाहिए.

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कौन हैं सरयू राय'?  

भ्रष्टाचार के खिलाफ हमेशा आवाज बुलंद करने वाले और तीन मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र और मधु कोड़ा को जेल की सलाखों के पीछे भिजवाने में सरयू राय की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है.  सरयू राय ने चुनाव प्रचार के दौरान मीडिया से कहा था कि अगर उन्हें पहले ही बता दिया जाता कि पार्टी उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देगी तो वह शांत बैठ जाते, लेकिन पार्टी ने कहा कि टिकट दिया जाएगा और पहली, दूसरी, तीसरी और चौथी लिस्ट निकल गई मगर उनका नाम नहीं था.

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इससे उन्हें लगा कि उन्हें अपमानित किया जा रहा है और टिकट नहीं मिलेगा. इसके बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा देकर रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ने का एलान कर दिया. उनका कहना है कि टिकट काटने के पीछे रघुवर दास ही हैं.

मुख्यमंत्री से अनबन की बात पर उन्होंने कहा था कि 2005 में वह नगर विकास मंत्री थे. तब "नगर विकास में रांची के सीवरेज के काम के लिए सिंगापुर की एक कंपनी मेनहार्ट की नियुक्ति की गई. मामला विधानसभा की मेरी समिति के सामने आया, जिसकी मैंने जांच की और कहा कि यह नियुक्ति गलत है. अब तो पांच अभियंता समूह के पैनल ने रिपोर्ट दी कि मेनहार्ट की गलत नियुक्ति हुई है. विजिलेंस की तकनीकी सेल ने भी कह दिया कि नियुक्ति गलत थी. टेंडर प्रक्रिया भी गलत हुई. कायदे से तो कार्रवाई होनी चाहिए थी."

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सीएम रघुवर दास से कहा था मधु कोड़ा के रास्ते पर चलने वालों का हश्र वैसा ही होगा

मीडिया ने जब पूछा कि क्या रघुवर दास चौथे मुख्यमंत्री होंगे जिन्हें वे जेल भिजवाएंगे? इस पर उन्होंने कहा था, "खनन विभाग के मसले पर मैं मुख्यमंत्री जी से कह चुका हूं कि यह रास्ता मधु कोड़ा का रास्ता है और इस पर चलने वाला वहीं पहुंचता है जहां मधु कोड़ा गए थे. मैं नहीं चाहता कि चौथा मुख्यमंत्री मेरे हाथ से जेल जाए, क्योंकि मुझे बहुत तकलीफ होती है जब मैं लालू जी की हालत देखता हूं, मधु कोड़ा की हालत देखता हूं. लालू जी हमारे मित्र रहे हैं. मधु कोड़ा हमारे अच्छे राजनीतिक कार्यकर्ता रहे हैं. इसलिए मैं बार-बार कहता हूं कि उस रास्ते पर मत चलिए."

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पशुपाल,अलकतरा घोटाला समेत कई मामलों को किया था उजागर

भारतीय राजनीति में सबसे चर्चित घोटालों में से एक पशुपालन घोटाले को उजागर करने वाले नेता का नाम सरयू राय है. उन्होंने 1994 में पशुपालन घोटाले का भंडाफोड़ किया था. घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने के लिए उन्होंने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक संघर्ष किया. इस मामले में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत कई नेताओं और अफसरों को जेल जाना पड़ा.

भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए हमेशा झंडा बुलंद करने वाले सरयू राय ने ही बिहार में अलकतरा घोटाले का भंडाफोड़ किया था. झारखंड के खनन घोटाले को उजागर करने में भी राय की महत्वपूर्ण भूमिका रही. सरयू राय ने 1980 में किसानों को दिए जाने वाले घटिया खाद, बीज, तथा नकली कीटनाशकों का वितरण करने वाली सहकारिता संस्थाओं के खिलाफ आवाज उठाई थी.

'अहंकार के खिलाफ चोट'

बीजेपी के बागी नेता सरयू राय झारखंड में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. जमशेदपुर पूर्व सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मुख्यमंत्री रघुवर दास को पराजित कर जीत दर्ज की है. सरयू राय के ट्वीटर हैंडल पर कवर फोटो में लिखा है- 'अहंकार के खिलाफ चोट, जमशेदपुर करेगा वोट'.

तो क्या अहंकार ने रघुवर दास की नैया डुबोई? इससे पहले जमशेदपुर पूर्वी से रघुवर दास लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. 2014 में रघुवर दास ने कांग्रेस के आनंद बिहारी दुबे को लगभग 70 हजार वोटों से हराया था लेकिन इस बार वह अपने पुराने सहयोगी से मात खा गए.

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उन्होंने जमशेदपुर पश्चिम सीट से 2014 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार बन्ना गुप्ता को 10,517 वोटों के अंतर से हराया था.

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं सरयू राय

जुझारू सामाजिक कार्यकर्ता और नैतिक मूल्यों की राजनीति करने वाले सरयू राय ने अविभाजित बिहार में अपने जीवन का काफी लंबा हिस्सा व्यतीत किया और झारखंड अलग राज्य बनने के बाद उन्होंने इसे कर्मभूमि बना लिया.

सरयू राय लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं. 1962 में वह अपने गांव में संघ की शाखा में मुख्य शिक्षक थे. चार साल बाद वह जिला प्रचारक बनाए गए. संघ ने उन्हें 1977 में राजनीति में भेजा. फिर कुछ सालों तक राजनीति से अलग रहे. जेपी विचार मंच बनाकर किसानों के बीच काम किया. बाद में जब 1992 में बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ, उसके बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के कहने पर बीजेपी में आए. यहां उन्हें प्रवक्ता व पदाधिकारी बनाया गया, फिर एमएलसी, विधायक, मंत्री तक तक की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली.

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