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घोटाले में पूर्व कृषि मंत्री गिरफ्तार, लंबी हुई भ्रष्‍टाचार की गाथा

झारखण्ड में गबन और भ्रष्टाचार के एक से बढ़कर एक किस्से सामने आ चुके हैं. इसकी ताजा कड़ी में नया नाम जुड़ा है बीजेपी नेता और पूर्व कृषि मंत्री सत्यानन्द भोक्ता का, जिन्‍हें बीज घोटाले के केस में गिरफ्तार कर लिया गया है.

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रुपये का लालच जो न करवाए...
रुपये का लालच जो न करवाए...

झारखण्ड में गबन और भ्रष्टाचार के एक से बढ़कर एक किस्से सामने आ चुके हैं. इसकी ताजा कड़ी में नया नाम जुड़ा है बीजेपी नेता और पूर्व कृषि मंत्री सत्यानन्द भोक्ता का, जिन्‍हें बीज घोटाले के केस में गिरफ्तार कर लिया गया है.

सत्यानन्द भोक्ता को सूखे की मार झेल रहे किसानों की सहायता के मद में आबंटित 25 करोड़ रुपये दूसरे काम के लिए इस्‍तेमाल करने का आरोपी बनाया गया है. निगरानी थाने में साल 2011 में दर्ज एफआईआर पर कारवाई करते हुए निगरानी विभाग ने उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर भोक्ता को आरोपी मानते हुए गिरफ्तार कर लिया.

दरअसल किसानों को बीज और खाद मुहैया कराने के नाम पर झारखण्ड में जमकर मनमानी की गयी और अपने चहेतों के बीच जमकर रेवड़ियां बांटी गयीं. इसके लिए तमाम नियम-कानूनों को दरकिनार करते हुए तत्कालीन कृषि मंत्री ने अपनी मर्जी के मुताबिक विभाग को हांका. खाद, बीज घोटाले में निगरानी के सामने पूर्व अधिकारियों ने जो बयान दर्ज करवाए हैं, उसमें कहा गया है कि सत्यानन्द भोक्ता ने किसानों को राशि आबंटित करने वाले आदेश को पलटते हुए अपने चहेती कंपनी से बीज की खरीद के लिए फरमान जारी किये.

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झारखण्ड में बीते 13 सालों में घोटालेबाजों ने एक से बढ़कर एक कारनामे अंजाम दिए हैं, जिनमें से कुछ ने काफी सुर्खियां बटोरीं. खासकर पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के शासन के दौरान हुए घोटाले, जिसमें शुरुआती दौर में 4000 करोड़ की राशि के गबन का आरोप लगाया गया. इस घोटाले की जद में आकर कोड़ा कैबिनेट के आधे से अधिक मंत्री जेल की हवा खा चुके हैं.

इस दौरान हुई मनी लॉन्ड्रिंग में पूर्व मंत्री एनोस एक्का, हरिनारायण राय और कोड़ा के चहेते विनोद सिन्हा, संजय चौधरी आरोपी हैं. वहीं इसी दौरान हुए 131 करोड़ के दवा घोटाले में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही को आरोपी बनाया गया. वे भी जेल की हवा खा चुके हैं. वहीं राष्ट्रीय खेलों के दौरान हुए खेल उपकरण खरीद घोटाले की जांच अभी निगरानी विभाग कर ही रहा है. इसमें झारखण्ड ओलम्पिक एसोसिएशन के अध्यक्ष आरके आनंद और दूसरे खेल पदाधिकारी जांच के घेरे में है.

झारखण्ड बनने के ठीक बाद हुए अलकतरा घोटाले में 1000 करोड़ के वारे-न्यारे किये गए, जिसकी जांच अभी सीबीआई कर रही है. इसमें 200 से अधिक इंजीनियर और ठेकेदारों को अभियुक्त बनाया गया है, जबकि हजारीबाग, देवघर और पाकुड़ में 2000 करोड़ के भूमि घोटाले को अंजाम दिया गया. इनमें से देवघर में हुए घोटाले जांच सीबीआई के सुपुर्द है. रांची में भी इसी तर्ज पर भूमि घोटाले को अंजाम दिया गया, जिसकी जांच निगरानी विभाग कर रहा है.

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आशियाने के नाम पर भी ठगी की गयी. संजीवनी बिल्डकॉम ने लोगों को आशियाना देने के नाम पर फर्जी जमीन दिखाकर हजारों करोड़ की उगाही की, जिसमें सरकारी अधिकारी भी शामिल थे. मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच सीबीआई से कराई जा रही है. दूसरे अन्य घोटालों में नमक घोटाला, वृक्षारोपण घोटाला, खाद्यान्न घोटाला प्रमुख हैं.

हद तो तब हो गयी, जब शिक्षा के मंदिर को भी इन घोटालेबाजों ने नहीं छोड़ा. झारखण्ड में अब तक हुई सभी प्रतियोगिता परीक्षाएं और नियुक्तियां जांच के घेरे में हैं. JPSC के पूर्व अध्यक्ष समेत कमीशन के कई पूर्व अधिकारी नियुक्तियों में की गई गड़बडि़यों के चलते सलाखों के पीछे हैं.

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