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मां के साथ मजदूरी कर पढ़ाई की, 12वीं रिजल्ट में मिला 9वां स्थान

सर पर भारी पत्थर का बोझ उठाने वाली जूलिया मिंज का नाम इन दिनों झारखंड के हर बच्चे की जुबान पर है. पेशे से मजदूर जूलिया ने झारखंड इंटरमीडिएट की परीक्षा में टॉप टेन में 9वीं रैंक हासिल की है.

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सर पर भारी पत्थर का बोझ उठाने वाली जूलिया मिंज का नाम इन दिनों झारखंड के हर बच्चे की जुबान पर है. पेशे से मजदूर जूलिया ने झारखंड इंटरमीडिएट की परीक्षा में टॉप टेन में 9वीं रैंक हासिल की है. मजदूरी के साथ पढ़ाई में भी कड़ी मेहनत से आर्ट्स में जूलिया ने 376 अंक लाकर अपने गांव का सर ऊँचा कर दिया है.

एक बेहद गरीब परिवार से आने वाली जूलिया ने शिक्षा के महत्व को पहचाना है. गरीबी को कभी पढ़ाई के आड़े नहीं आने दिया, मां के संग कड़ी धूप में मजदूरी की. घर की जरुरतों को भी पूरा किया, मजदूरी कर थक कर जब वो शाम को घर आती, तो सोने के बजाय पढ़ाई करती.

जूलिया की मेहनत रंग लाई और आज वह झारखण्ड के छात्रों के लिए प्रेरणा बन गई है. जूलिया ने कहा, 'उम्मीद नहीं थी कि मेरा रिजल्ट इतना अच्छा होगा. लेकिन मजदूरी करके पढ़ाई करने के बाद मिली सफलता से खुश हूं.'

जूलिया का बचपन कठिनाइयों से गुजरा है जब वो दो साल की थी, तो उसके सर से उसके पिता का साया उठ गया. घर में खाने के लाले पड़ गए. इसके बाद जूलिया की मां ने मजदूरी शुरू कर दी. मजदूरी के रुपयों से ही घर चलने लगा.

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माँ ने कभी भी जूलिया की पढ़ाई बंद नहीं की. जूलिया को पास के बालिका विद्यालय में एडमिशन दिला दिया. जूलिया जब कुछ बड़ी हुई तो मजदूरी में अपनी माँ का हाथ बंटाने लगी, ऐसे में जूलिया की इस सफलता से उसकी माँ भी बेहद खुश हैं.

जूलिया आईएएस बनने की तमन्ना लिए दिन रात मेहनत कर रही है. वो सरकार से भी उम्मीद लगाये बैठे है कि उच्च शिक्षा के लिए कोई मदद मिल जाए. वैसे राज्य की शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने जूलिया को उच्च शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप देने की बात कही है.

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