पहलगाम हमले के बाद सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिये पाकिस्तान के आतंकी कैंपों पर हमले कर उन्हें तबाह कर दिया था. ऑपरेशन सिंदूर के तहत सीमा पार के आतंकी शिविरों पर एक्शन के बाद सुरक्षाबलों ने अब सरहद के अंदर यानी जम्मू कश्मीर में आतंक के खिलाफ सैन्य अभियान को तेज कर दिया है. शोपियां समेत अलग-अलग इलाकों में आतंकियों की तलाश के लिए सेना अभियान चला रही है.

मंगलवार की सुबह ऐसे ही एक अभियान के दौरान सुरक्षाबलों ने शोपियां के जम्पाथरी में लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों को घेर लिया, जिसके बाद आतंकियों ने सुरक्षाबल की टीम पर फायरिंग कर दी. इसके बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए मुठभेड़ में तीनों आतंकियों को मार गिराया है.
सेना की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक आतंकियों का जो ग्रुप ट्रैप किया गया था, वह अलग ग्रुप है. इस ग्रुप में पहलगाम हमले के गुनहगार आतंकी शामिल नहीं हैं. पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकियों की तलाश के लिए अलग-अलग जगहों पर सुरक्षाबल विशेष अभियान चला रहे हैं.

कौन थे मारे गए आतंकवादी?
सूत्रों के मुताबिक, पहला आतंकी शाहिद कुट्टे चोटिपोरा हीरपोरा, शोपियां का रहने वाला था. वह 08 मार्च, 2023 को लश्कर में शामिल हुआ था. वह 18 मई, 2024 को हीरपोरा, शोपियां में बीजेपी सरपंच की हत्या में शामिल था. उस पर 03 फरवरी, 2025 को बेहिबाग, कुलगाम में टीए कर्मियों की हत्या में शामिल होने का संदेह है. वहीं, दूसरे आतंकवादी की पहचान अदनान शफी डार के रूप में हुई है, जो वंडुना मेलहोरा, शोपियां का रहने वाला है. वह 18 अक्टूबर, 2024 को लश्कर में शामिल हुआ था. वह 18 अक्टूबर, 2024 को वाची, शोपियां में गैर स्थानीय मजदूर की हत्या में शामिल था.
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पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों के पोस्टर शोपियां के कई इलाकों में लगाए गए थे. सुरक्षाबलों ने आतंकियों की सूचना देने वाले को 20 लाख रुपये इनाम देने का भी ऐलान कर रखा है. सेना ने पहलगाम में मासूम पर्यटकों की मौत के गुनहगार तीन पाकिस्तानी आतंकियों की तलाश तेज कर दी है.
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सुरक्षाबलों की ओर से सार्वजनिक स्थलों पर जगह-जगह पोस्टर लगाए गए हैं. इन आतंकियों की तस्वीर एजेंसियों ने पहले ही जारी कर दी थी. गौरतलब है कि पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला बोल दिया था. इस कायराना आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई थी और 14 लोग घायल हुए थे. मृतकों में एक नेपाली नागरिक भी शामिल था. इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली थी.