जम्मू-कश्मीर में मुख्य राजनीतिक पार्टियां अगले साल होने वाले विधान सभा चुनावों को देखते हुए में नौकरशाहों को लेकर चुनाव लड़ने वाली हैं. जितने भी नौकरशाह आजकल सरकारी नौकरी से रिटायर होते हैं, नेशनल कांफ्रेंस, काग्रेस, पीडीपी और बीजेपी उन पर डोरे डालना शुरू कर देती हैं.
जम्मू-कश्मीर कॉपरेटिव मंत्रालय से विभाग के सचिव और आई.ए.एस आफसर जी.आर. भगत हाल ही में जैसे ही नौकरी से रिटायर हुए तो उन्हें सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस के जम्मू मुख्यालय, शेरे कश्मीर भवन ले जाकर पार्टी में गर्म जोशी से शामिल करवाया गया. यही नहीं उससे पहले, नेशनल कांफ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर स्टेट सर्विस रैकरुटमेंट बोर्ड के चैयरमेंन, बी.डी. भगत को भी रिटायर होने के बाद पार्टी में शामिल किया.
पीडीपी भी नेशनल कांफ्रेंस से पीछे नहीं है, पार्टी के पैट्ररन और पूर्व मुखयमंत्री मुफ्ती मोहमद सईद और पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने वोट बैंक की राजनीति को देखकर पूर्व नौकरशाह नईम अख्तर, महबूब ईकबाल (पूर्व आई.ए.एस) और असगर अली को पीडीपी में शामिल किया. यही नहीं नईम अख्तर को पार्टी का पहले प्रवक्ता बनाया और बाद में राज्य विधान सभा का सदस्य भी नियुकत करवाया. राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि नईम अख्तर पीडीपी का थिंकटैंक हैं और मुफ्ती सईद और महबूबा मुफ्ती के सभी प्रेस स्टेटमेंट्स वही फाइनल करते हैं.
जम्मू कश्मीर के तीन आई.ए.एस अधिकारी और रिटायर्ड मुख्य सचिव, विजय बकाया, बी.आर. कुंडल और शेख गुलाम रसूल भी पीछे नहीं बैठे. विजय बकाया और शेख गुलाम रसूल को नेशनल कांफ्रेंस ने राज्य विधान सभा में सदस्य बनवाया जबकि कांग्रेस ने बी.आर. कुंडल को एम.एल.सी बनवाया.
राज्य सरकार के खिलाफ पिछले तीन साल से लड़ रहे चार लाख सरकारी कर्मचारियों की यूनियन के अध्यक्ष, खुर्शीद आलम पिछले महीने सहायक डायरेक्टर रिटायर्ड हुए है और पीडीपी ने वक्त खराब न करते हुए आलम को पार्टी में शामिल करवाया.