22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने इस साल की अमरनाथ यात्रा पर गंभीर असर डाला है. 38 दिन की अमरनाथ यात्रा के लिए पहले जहां श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर था, वहीं अब हमले के बाद लोगों में डर और अनिश्चितता देखने को मिल रही है.
पहलगाम में आतंकी हमले से पहले 2 लाख 35 हजार से अधिक लोगों ने यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन हमले के बाद जब प्रशासन ने इन श्रद्धालुओं से पुष्टि के लिए संपर्क किया, तो केवल 85000 लोगों ने ही यात्रा पर आने की पुष्टि की.
सुरक्षा के सख्त इंतजाम
जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि इस बार की यात्रा को सुरक्षित और निर्बाध बनाने के लिए अत्याधुनिक सुरक्षा उपाय किए गए हैं. यात्रियों को RFID टैग दिए जाएंगे, ताकि हर वक्त उनकी लोकेशन ट्रैक की जा सके. सभी यात्रियों की e-KYC (इलेक्ट्रॉनिक केवाईसी) प्रक्रिया पूरी करवाई जा रही है. मनोज सिन्हा ने कहा कि पिछली बार से ज्यादा बेहतर इंतजाम इस बार किए गए हैं. सीसीटीवी कैमरा से निगरानी रखी जाएगी. साथ ही एरियल सर्विलांस की जाएगी.
अलग-अलग यात्रा न करें
प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों ने यात्रियों से निर्देशों का पालन करने और जम्मू से काफिले में ही यात्रा करने की अपील की है. उन्हें यह भी हिदायत दी गई है कि वह किसी भी स्थिति में अकेले यात्रा न करें और सरकारी निर्देशों और सुरक्षा एजेंसियों की एडवाइजरी का पालन करें.
38 दिन की होगी अमरनाथ यात्रा
इस बार अमरनाथ यात्रा का समय भी घटाया गया है. अभी तक ये यात्रा 2 महीने की यात्रा होती थी, लेकिन इस बार ये 38 दिन की होगी. इसका असर भी यात्रा पर दिख रहा है. इसके अलावा आतंकी हमले ने जम्मू-कश्मीर के पर्यटन पर भी गहरा असर डाला है.