महबूबा मुफ्ती ने प्रदेश प्रशासन का शुक्रिया अदा किया है कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर के सामने आई चुनौतियों का सामना करने में मुफ्ती मोहम्मद सईद के विचारों का अनुसरण किया और इसके लिए अथक मेहनत की.
महबूबा ने एक बयान में कहा कि मुफ्ती साहब को पूरा विश्वास था कि अगर सरकार के विकास और कल्याण के एजेंडे को लागू करने में प्रशासन जोश और सक्रियता से शामिल न होता तो इतना कुछ हासिल नहीं किया जा सकता था. उन्होंने कहा, 'खुशकिस्मती से 2002 और 2015 में प्रशासन, नेताओं के साथ तेजी से जुड़ा और जम्मू-कश्मीर की खुशहाली के लिए मुफ्ती साहब के सपने को साकार करने में अथक मेहनत की.' महबूबा ने कहा कि प्रशासन और नेताओं के सहयोग की वजह से ही कम समय में सरकार इतना कुछ हासिल कर पाने में कामयाब हुई है.
महबूबा ने कहा कि ये देखना प्रशंसनीय है कि किस तरह विभिन्न स्तरों पर पुलिस और सिविल प्रशासन के अफसरों ने समान विचारों के साथ बेहतरीन काम किया ताकि मुफ्ती साहब के नेतृत्व में सुशासन, विकास और लोगों की समस्याओं का हल निकल सके.
महबूबा ने कहा कि उनके पिता प्रदेश प्रशासन को हमेशा से देश का सबसे बेहतरीन प्रशासन बताते थे. उन्होंने कहा, 'मुफ्ती साहब का मानना था कि 2002 और 2015 में उनकी सरकार जो कुछ भी अच्छा कर पाई है, वो प्रदेश प्रशासन की आवश्यक क्षमता और सहयोग के बिना संभव नहीं था.' उन्होंने कहा कि प्रशासन ने भी लोगों तक पहुंचकर और जमीनी स्तर पर महत्वपू्र्ण बदलाव करके मुफ्ती साहब के विश्वास को बनाए रखा.
पिता को याद कर रो पड़ीं महबूबा
रविवार को पीडीपी विधायकों की बैठक में महबूबा मुफ्ती रो पड़ीं. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया, 'मीटिंग में विधायकों से लेकर सांसदों तक सभी की आंखें नम थी. कुछ लोग तो रो भी रहे थे. लेकिन सरकार के गठन पर कोई चर्चा नहीं हुई. महबूबा सरकार बनाने की जल्दबाजी में नहीं हैं.'
बैठक में सरकार पर चर्चा नहीं
यहां राजनीति को लेकर नया सस्पेंस शुरू हो गया है. महबूबा मुफ्ती के नितिन गडकरी और फिर सोनिया गांधी से मिलने के बाद अलग-अलग अटकलें लगाई जा रही हैं. लेकिन मुफ्ती के निधन के चार दिन बाद रविवार को हुए पीडीपी की बैठक में सरकार के गठन पर कोई चर्चा नहीं की गई. सिर्फ पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काम करने पर चर्चा हुई.
शपथ लेने से इनकार
मुफ्ती के निधन के दिन ही खबरें आ रही थी कि उनकी बेटी और पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा जल्द ही जम्मू-कश्मीर की सीएम के तौर पर शपथ ले सकती हैं. इसके लिए राज्यपाल को चिट्ठी भी लिखी गई थी लेकिन महबूबा ने शपथ लेने से इंकार कर दिया था. पीडीपी ने संकेत दिए थे कि मुफ्ती के निधन पर चार दिनों के शोक के बाद ही सरकार के गठन पर कोई फैसला किया जाएगा.