केंद्र सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) को बैन कर दिया है. मोदी सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अलगाववादी नेता यासीन मलिक का बचाव किया है.
केंद्र सरकार ने आतंक विरोधी कानून के तहत अलगाववादी नेता यासीन मलिक के संगठन जेकेएलएफ पर प्रतिबंध लगाया तो महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यासीन मलिक ने जम्मू-कश्मीर का मुद्दा सुलझाने के लिए काफी पहले हिंसा छोड़ दी है. महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उनके संगठन को बैन करने से क्या हासिल होगा. इस तरह के फैसलों से कश्मीर सिर्फ एक खुली जेल में तब्दील हो जाएगा.
Yasin Malik renounced violence as a way of resolving J&K issue a long time ago. He was treated as a stakeholder in a dialogue initiated by then PM Vajpayee ji. What will a ban on his organisation achieve? Detrimental steps like these will only turn Kash into an open air prison.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) March 22, 2019
बता दें कि केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जेकेएलएफ को प्रतिबंधित कर दिया गया है, क्योंकि सरकार आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकती. आतंकवाद को बढ़ावा देने में जेकेएलएफ का हाथ है और यही संगठन कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए भी जेकेएलएफ जिम्मेदार है.
Union Home Secretary Rajiv Gauba: Central govt has today declared Jammu Kashmir Liberation Front (Yasin Malik faction) as unlawful association under Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967. This is in accordance with policy of zero tolerance against terrorism followed by govt. pic.twitter.com/AmibBNpEQg
— ANI (@ANI) March 22, 2019
गौरतलब है कि महबूबा मुफ्ती कश्मीर में अलगाववादियों पर केंद्र सरकार की सख्ती को लेकर भड़कती रही हैं. इससे पहले भी कई बार महबूबा मुफ्ती ने यासीन मलिक का बचाव किया और हिरासत में लिए जाने पर भी सवाल उठाए हैं. पुलवामा आतंकी हमले के बाद अलगाववादियों पर केंद्र सरकार की सख्ती और यासीन को हिरासत में लिए जाने पर कहा था कि इस तरह से केंद्र की मनमर्जी जम्मू-कश्मीर में मुद्दों को और उलझ रही है.