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घाटी में अलगाववादियों की ओर से आहूत बंद रहा बेअसर

कश्मीर के भीतर अलगाववादियों की पाकिस्तान के साथ सांठ-गांठ और पैसे लेकर कश्मीर के भीतर अशांति फैलाने को लेकर आजतक के खुलासे और एनआईए द्वारा 7 अलगाववादी नेताओं की गिरफ्तारी के बाद हुर्रियत नेताओं ने मंगलवार को कश्मीर बंद का आह्वान किया था. हालांकि, हुर्रियत के नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में आहूत यह बंद घाटी में असरदार नहीं दिखा.

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कश्मीर घाटी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
कश्मीर घाटी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

कश्मीर के भीतर अलगाववादियों की पाकिस्तान के साथ सांठ-गांठ और पैसे लेकर कश्मीर के भीतर अशांति फैलाने को लेकर आजतक के खुलासे और एनआईए द्वारा 7 अलगाववादी नेताओं की गिरफ्तारी के बाद हुर्रियत नेताओं ने मंगलवार को कश्मीर बंद का आह्वान किया था. हालांकि, हुर्रियत के नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में आहूत यह बंद घाटी में असरदार नहीं दिखा. डल लेक, डाउन टाउन और लाल चौक इलाकों की बात अगर छोड़ दें तो अधिकांश इलाकों में दुकानें खुली नजर आईं और लोग सड़कों पर चलते-फिरते दिखे. हालांकि, इस बीच लाल चौक जैसे इलाकों में अलगाववादी नेताओं के बाद से ही धारा 144 लगा दी गई है. ताकि लॉ एंड ऑर्डर की समस्या न आए. श्रीनगर के जहांगीर चौक के पास ज्यादातर दुकानें खुली नजर आईं और वाहनों का सामान्य आवागमन जारी रहा. आसपास के सभी मॉल खुले रहे और लोग खरीददारी के लिए वहां आते-जाते दिखे.

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सोशल मीडिया पर दिखा कश्मीरी अवाम का गुस्सा  

गौरतलब है कि कश्मीरी अवाम के एक बड़े तबके को सोशल मीडिया पर गुस्सा जाहिर करते देखा गया. आज तक के विशेष खुलासे का बड़ा घाटी में देखने को मिल रहा है. पाकिस्तान के साथ-साथ गांठ के खुलासे के बाद घाटी में एक बड़ा तबका अलगाववादियों के खिलाफ खड़ा हो रहा है और उसी की एक झलक मंगलवार को दिखाई दी जब कश्मीर के ज्यादातर इलाकों में लोगों ने अलगाववादियों द्वारा बुलाए गए बंद को नहीं माना और सड़कों पर नजर आए.

अलगाववादियों की गिरफ्तारी पर उमर अब्दुल्ला ने साधी चुप्पी

पाकिस्तान के साथ सांठ-गांठ के बाद एनआईए द्वारा  7 अलगाववादियों की गिरफ्तारी पर नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. जम्मू कश्मीर के बडगाम में आज तक संवाददाता द्वारा अलगाववादियों के गिरफ्तारी पर सवाल पूछे जाने पर उमर अब्दुल्ला कुछ भी बोले बगैर चलते बने.

एनआईए द्वारा आज तक के हाथ लगे दस्तावेजों के मुताबिक साल 2010 में उमर अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री रहते हुए जम्मू कश्मीर सरकार ने अलगाववादी नेता गिलानी के दामाद अल्ताफ फंटूस को घाटी में पथराव की घटना में कमी लाने के बदले तोहफे के तौर पर जमीन दी थी. इस सवाल पर भी उमर अब्दुल्ला बिना कुछ बोले अपने गाड़ी से आगे बढ़ गए.

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बीजेपी कर रही तारीफ, पीडीपी नेता खामोश

बीजेपी इस मामले में आज तक द्वारा किए गए खुलासे की तारीफ कर रही है. वहीं जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के साथ सरकार चला रही पीडीपी और उसके बड़े नेता खामोशी साधे हैं. पीडीपी के स्थानीय नेता कुछ भी साफ-साफ कहने से बच रहे हैं और जांच पूरी होने तक इंतजार करने की बात कह रहे हैं. अलगाववादियों पर कसते शिकंजे से कुछ चीजें साफ हो रही हैं कि कश्मीर की सियासी पार्टियां इस पर लगातार चुप रहना चाहती हैं. ताकि घाटी के भीतर उनकी राजनीतिक जमीन को अधिक नुकसान ना पहुंचे.

 

 

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