पुलवामा आतंकी हमले में 40 जवानों की मौत के बाद चले सेना के ऑपरेशन में 3 आतंकियों को मार गिराया. उसमें भारतीय सेना के एक मेजर सहित 5 जवान शहीद हो गए. शहीद होने वालों में जम्मू-कश्मीर पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल अब्दुल रशीद भी शामिल हैं. सीनियर अफसरों के बीच उनकी एक ईमानदार पुलिसवाले की छवि थी.
अब्दुल रशीद का जन्म अप्रैल 1989 में हुआ था. उत्तरी कुपवाड़ा जिले की एक प्रशासनिक तहसील करनाह के नवा गबरा गांव में उसका जन्म हुआ था. 30 साल के अब्दुल रशीद अप्रैल 2008 में पुलिस में भर्ती हुए थे. 2011 में उनकी शादी हुई थी. रशीद अपने पीछे दो बेटियों को छोड़ गए हैं जिसमें से बड़ी की उम्र 5 साल और छोटी 8 महीने की है.
नौकरी के दौरान वे जम्मू-कश्मीर के कई स्थानों पर गए और वहां नौकरी की. उनकी आखिरी पोस्टिंग पुलवामा जिले की पुलिस लाइंस में थी. रशीद के साथियों ने बताया कि वह सभी के लिए बहुत समर्पित और मददगार थे. सीनियर अफसर उन्हें ईमानदारी के लिए सबसे अधिक पसंद करते थे.
ऑपरेशन को 55 राष्ट्रीय राइफल्स (55RR), सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) के जवानों ने मिलकर चलाया. पुख्ता जानकारी मिलने के बाद ही सुरक्षाबलों ने इस ऑपरेशन को शुरू किया. जो जवान इस मुठभेड़ में शहीद हुए हैं, उनमें मेजर डीएस डोंडियाल, हेड कॉन्स्टेबल अब्दुल रशीद, हेड कॉन्स्टेबल सेवा राम, सिपाही अजय कुमार और सिपाही हरी सिंह शामिल हैं.
40 जवानों पर हुए इस हमले के बाद से ही भारत सरकार ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह सार्वजनिक मंचों से बयान दे चुके हैं कि उन्होंने सेना को खुली छूट दे दी है. PM मोदी ने कहा था कि उन्होंने सेना को कहा है कि बदला लेने की जगह और समय वह खुद तय करें.
बता दें कि हमले के बाद से ही बैठकों को दौर जारी है और रणनीति पर काम चल रहा है. CRPF की ओर से भी ट्वीट कर साफ कह दिया गया है कि न भूलेंगे और न ही बख्शेंगे. इसी के बाद सेना ने हमले के गुनहगारों के खिलाफ ऑपरेशन चलाया था जिसमें एक मेजर सहित 4 जवान शहीद हो गए और 3 आतंकियों को मार गिराया गया.