कश्मीर में बीते 48 दिनों से अशांति और हिंसा का दौर जारी है. गृह मंत्री राजनाथ सिंह केंद्र की ओर से शांति बहाली के लिए आखिरी बाजी लगाने श्रीनगर पहुंचे हैं. गुरुवार को उन्होंने मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के साथ साझा प्रेस वार्ता की. इस दौरान जहां एक ओर राजनाथ सिंह ने संयम और शांति के साथ अपनी बात रखी, वहीं एक सवाल और पिछली राज्य सरकार की तुलना पर महबूबा भड़क गईं.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये दो सियासी तस्वीरें या यह कहें कि एक्शन तब देखने को मिला, जब सवाल जवाब का सिलसिला शुरू हुआ. क्योंकि इससे पहले राजनाथ सिंह ही बोल रहे थे. लेकिन जैसे ही एक पत्रकार ने पिछली उमर अब्दुल्ला सरकार से मौजूदा मुफ्ती सरकार की तुलना की, महबूबा ने कहा, 'सर आप रुक जाइए, इनको मैं जवाब देती हूं. आप इन्हें नहीं जानते.'
95 फीसदी चाहते हैं अमन और बातचीत का माहौल
महबूबा ने कहा कि कश्मीर के 95 फीसदी लोग अमन चाहते और बातचीत करना चाहते हैं, लेकिन सिर्फ 5 फीसदी लोग अपने हितों के लिए गलत राह पर हैं. उमर सरकार के समय 2010 की एक घटना से 2016 की तुलना पर भड़की महबूबा ने कहा, 'प्लीज पुरानी घटना से तुलना मत कीजिए.'
'वो बच्चे आर्मी कैंप में चॉकलेट खरीदने नहीं गए थे'
महबूबा ने सवाल के जवाब को गलत तरीके से लिए जाने पर कहा, 'कुछ लोग छोटे बच्चों को ढाल बना रहे हैं.' उन्होंने सुरक्षा बलों द्वारा नागरिकों की हत्या को जायज करार देते हुए कहा, 'जिन्हें गोली या पैलेट लगी, वे 15 साल के थे, लेकिन वो आर्मी कैंप में दूध या टॉफी खरीदने नहीं गए थे.' उनसे पूछा गया था कि कैसे वे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ असंगत बल प्रयोग को उचित ठहरा सकती है, जबकि वे जब विपक्ष में थीं तो 2010 में नागरिकों की मौत पर उन्होंने सरकार की आलोचना की थी.
'तब तीन नागरिक मरे थे आज तीन आतंकी मरे हैं'
पत्रकार के सवाल पर मुख्यमंत्री ने भड़कते हुए कहा कि उन्हें दो घटनाओं की तुलना नहीं करनी चाहिए. महबूबा ने कहा, 'आप गलत हैं. 2010 में जो हुआ उसका एक कारण है. माछिल में एक नकली एनकाउंटर हुआ था. तीन नागरिक मारे गए थे. आज तीन आतंकवादी मारे गए हैं और उसके लिए सरकार को दोषी कैसे ठहराया जा सकता है?'
#WATCH: J&K CM Mehbooba Mufti explains the difference between 2010 and 2016 violence in Kashmir.https://t.co/loGeLu2Uv0
— ANI (@ANI_news) August 25, 2016
इस दौरान महबूबा ने भावुक अपील भी की. उन्होंने कहा कि पथराव से और कैंपों पर हमले से समस्या का समाधान नहीं होगा. समाधान सिर्फ और सिर्फ बातचीत से संभव है. उन्होंने कहा कि कश्मीरी नहीं चाहते हैं कि हालात खराब हों.
कई बार राजनाथ ने हाथ पकड़कर किया शांत
कॉन्फ्रेंस के दौरान कई बार हालात ऐसे बनें कि राजनाथ सिंह को महबूबा को समझाना पड़ा. कई बार तो ऐसा लगा कि राजनाथ सिंह जवाब देना चाह रहे, लेकिन महबूबा बोलने लगीं. उमर सरकार से तुलना करने पर मुफ्ती ने राजनाथ से कहा, 'सर आप रुक जाइए. मैं इन्हें जवाब देती हूं.' जवाब देने के क्रम में जब महबूबा की पत्रकारों से तू-तू मैं-मैं हो रही थी तो राजनाथ ने बीच में टोकते हुए, उनका हाथ पकड़कर शांत करते हुए कहा, 'अरे महबूबाजी तो आपके घर की हैं.'
खास बात यह भी रही कि जब प्रेस कॉन्फ्रेंस समाप्त हुई, राजनाथ से पहले महबूबा झटक कर उठीं और चल पड़ी, जिनके पीछे राजनाथ भी चुपके से चल पड़े.