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J-K:अनुच्छेद 370 को हटे 1 साल पूरा, उरी में अब नौकरी, नेटवर्क और विकास की चर्चा

उरी में दत्ता मंदिर के आस-पास मौजूद परिवारों का कहना है कि उन्हें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 3 महीने से राशन मिल रहा है, लेकिन उन्हें ये पता नहीं कि सरकार द्वारा की गई घोषणा के मुताबिक उन्हें नवंबर तक अनाज मिलेगा या नहीं.

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श्रीनगर के लाल चौक की तस्वीर (फोटो- पीटीआई)
श्रीनगर के लाल चौक की तस्वीर (फोटो- पीटीआई)

  • 'गरीबों के लिए मददगार हैं पीएम मोदी'
  • युवाओं की जिंदगी में बदलाव नहीं
  • नौकरी, नेटवर्क और विकास की चर्चा
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म हुए 365 दिन यानी की एक साल पूरे होने को हैं. इस मौके पर इंडिया टुडे उरी पहुंचा. उरी यानी कि वही जगह जहां साल 2016 में आतंकियों ने कैंप पर हमला किया था. इस हमले में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे.

अनुच्छेद 370 हटने के बाद उरी में जिंदगी बदली है और सरकार को लोगों से विकास की उम्मीदें हैं. चौक चौराहों पर अब नौकरी, विकास, मोबाइल नेटवर्क और कंप्यूटर की चर्चा है.

'गरीबों के लिए ठीक है मोदी सरकार'

उरी में दत्ता मंदिर के पास हमें 60 साल के शहाबुद्दीन मिले. पेशे से किसान शहाबुद्दीन अपने पड़ोसियों और नाती-पोतों के साथ बैठे हैं. नरेंद्र मोदी सरकार की तारीफ करते हुए वो कहते हैं, "मैं दूसरों के बारे में तो नहीं कह सकता, लेकिन मोदी सरकार गरीबों के लिए ठीक है, पिछली सरकार में गरीबों के पास पैसा नहीं आता था, पैसा लोग खा जाते हैं, लेकिन अब हम बैंक अकाउंट में अपना पैसा पाते हैं."

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दत्ता मंदिर के आस-पास मौजूद परिवारों का कहना है कि उन्हें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 3 महीने से राशन मिल रहा है, लेकिन उन्हें ये पता नहीं कि सरकार द्वारा की गई घोषणा के मुताबिक उन्हें नवंबर तक अनाज मिलेगा या नहीं.

जैसे ही हम ऊपर की और बढ़े और हमारी मुलाकात एक नौजवान से हुई. मस्तमौला और बिना मास्क पहने इस युवक ने कहा कि जिंदगी में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन हमें मोदी सरकार के साथ कोई दिक्कत नहीं है.

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मुख्य शहर से कुछ किलोमीटर दूर सड़कें टूटी दिखती हैं और साफ संकेत देती हैं कि अब यहां मरम्मत की जरूरत है. सड़क के किनारे बिखरी हुई आबादी है, ज्यादातर लोग कोरोना संक्रमण की वजह से घर के अंदर हैं.

पहले 370, अब लॉकडाउन की मार

यहां एक मिठाई दुकान पर कुछ लोग मौजूद थे. जब हमनें इनसे बात शुरू की तो इन्होंने कहा कि हमारे लिए तो दोहरी मुसीबत है. पहले 6 महीने हम कैद रहे हैं अब कोरोना हमें मार रहा है. अगर सरकार अपने वादे पूरा करती है तो यहां लड़कों को रोजगार मिलेगा, लेकिन यहां विकास नहीं है और न ही नौकरियां हैं. इन लोगों का कहना है कि एक साल में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है. एक युवक ने कहा कि तब कई चीजें कही गईं थीं, हम उनपर यकीन करना चाहते थे, लेकिन कोई बदलाव नहीं दिख रहा है.

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