दिल्ली में पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरजाज अजीज के साथ बैठक
से पहले सभी हुर्रियत नेताओं को जम्मू कश्मीर में उनके घरों में नजरबंद
करने के कुछ घंटे बाद छोड़ दिया गया. जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट
(जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को भी गिरफ्तारी के बाद रिहा कर दिया गया.
Shame on Mufti Syed for arresting on demand. He had no business following his masters orders & detaining the Hurriyat leaders like this.
— Omar Abdullah (@abdullah_omar) August 20, 2015
यासीन मलिक को गिरफ्तार करके कोठीबाग पुलिस स्टेशन ले जाया गया था. पाकिस्तान का झंडा फहराने वाली अलगाववादी आसिया अंद्राबी के घर पर भी छापेमारी हुई. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करके हुर्रियत नेताओं को नजरबंद करने के लिए मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की आलोचना की है. पाकिस्तानी उच्चायोग ने 23 अगस्त को हुर्रियत नेताओं को बातचीत के लिए
दिल्ली बुलाया है.
पाकिस्तान ने चली पुरानी चाल
दरअसल पाकिस्तान ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तर की वार्ता को पटरी से उतारने के लिए एक बार फिर की बातचीत से पहले अलगाववादियों को बातचीत के लिए न्योता दिया और इस आमंत्रण को हुर्रियत नेताओं ने स्वीकार भी कर लिया. पाकिस्तान के इस प्रस्ताव के बाद अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने बुधवार सुबह श्रीनगर में आपात बैठक बुलाई थी और APHC चेयरमैन फारूक ने हुर्रियत कांफ्रेंस की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक बुलाई, जिसमें पाकिस्तानी उच्चायोग के न्योते को स्वीकार कर लिया.
सरताज अजीज से मुलाकात का न्योता
याद रहे कि 23 अगस्त को ही भारत के एनएसए अजीत डोवाल और उनके पाकिस्तानी समकक्ष सरताज अजीज के बीच दिल्ली में आधिकारिक बैठक होनी है. सूत्रों के मुताबिक, कश्मीर के शीर्ष अलगाववादी नेताओं को इसी दिन सरताज अजीज से मुलाकात का न्योता भेजा गया था. मीरवाइज उमर फारूक के पास पाक उच्चायोग का लिखित न्योता है. उनके अलावा सैयद अली शाह गिलानी और यासीन मलिक को भी सरताज अजीज से मिलने के लिए बुलाया गया.
बातचीत से पीछे नहीं हटेगा भारत
हालांकि अलगाववादी नेताओं से बातचीत करने के पाकिस्तानी उच्चायोग के फैसले के बावजूद भारत और पाकिस्तान के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) स्तर की पहली बातचीत तय कार्यक्रम के अनुसार अगले सप्ताह होगी.