जम्मू-कश्मीर का केसर पूरी दुनिया में जाना जाता है. कश्मीर में बड़ी मात्रा में केसर उगाया जाता है. यह दुनिया की सबसे महंगी फसल मानी जाती है. इतना ही नहीं कश्मीरी केसर को दुनिया में सबसे अच्छा केसर माना जाता है. यह कश्मीर में केसर की चुनाई का मौसम है, लेकिन किसान उत्पादन से खुश नहीं हैं क्योंकि यह कई सालों से लगातार घट रहा है. (रिपोर्ट- अशरफ वानी)
2010 में कश्मीर में केसर की खेती के पुनरुद्धार के लिए केसर मिशन शुरू किया गया था, जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा 411 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे. परियोजना के तहत, केसर के खेतों में स्प्रिंकलर सिंचाई करने के लिए 126 बोरवेल खोदे जाने थे.
शुरुआत में यह परियोजना पांच साल के लिए शुरू की गई थी, लेकिन जब जम्मू-कश्मीर सरकार 2015 की समय सीमा को पूरा करने में विफल रही तो केंद्र सरकार ने बाद में दो और वर्षों तक इसके विस्तार को मंजूरी दे दी. बाद में 2018 में इसे फिर से दो साल के लिए बढ़ा दिया गया.
स्थानीय केसर उत्पादकों का कहना है कि पिछले 10 सालों से पंपोर में केसर उगाने वाले किसान स्प्रिंकलर वाली सिंचाई सुविधा के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं. सरकार ने पिछले कई सालों से तमाम दिक्कतों का सामना कर रही केसर की पैदावार को बढ़ावा देने के लिए इसे मुहैया कराने का वादा किया था.
पुलवामा जिले के पंपोर तहसील में ही लगभग 3200 हेक्टेयर जमीन है, जिस पर केसर उगाया जाता है, जबकि केसर की खेती के लिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में कुल भूमि 3,715 हेक्टेयर है. केसर के उत्पादक मोहम्मद यूसुफ ने बताया कि सूखे जैसी परिस्थितियों और ग्लोबल वार्मिंग के मद्देनजर केसर के लिए स्प्रिंकल सिंचाई आवश्यक है. उन्होंने कहा कि स्प्रिंकल सिंचाई से किसानों को नई फसल सामान्य समय से 10 दिन पहले और अधिक मात्रा में मिल सकेगी. और इससे केसर के उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा.
यूसुफ ने आगे कहा कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग ने कुछ किसानों को सिंचाई की सुविधा प्रदान की है, लेकिन इसमें बिजली की सुविधा नहीं है, जब हम पंपों के संचालन के लिए संबंधित लोगों से पूछते हैं, तो वे कहते हैं कि उनके पास पंपों के लिए कोई ईंधन नहीं है. मोहम्मद यूसुफ ने कहा कि संबंधित अधिकारियों का कहना है कि केंद्र ने समय पर धनराशि जारी नहीं की है.