पहाड़ों पर आसमानी आफत थम नहीं रही है. अब इसकी मार जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ पर पड़ी है. जहां बादल फटने के बाद नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा और रास्ते में जो कुछ भी आया उसे बहाता ले चला गया.
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में कल बादल फटने के बाद तबाही का सैलाब आया. इस आपदा में 65 लोगों की जान चुकी है, 100 से ज्यादा लोग घायल हैं और कई लापता हैं.
मंत्री जावेद डार ने शुक्रवार को बताया कि किश्तवाड़ में भीषण बादल फटने के बाद कम से कम 65 शव बरामद किए गए हैं, जबकि कई लोग अभी भी लापता हैं.
बारामूला में पत्रकारों से बात करते हुए मंत्री ने कहा कि लापता लोगों की वास्तविक संख्या अभी भी स्पष्ट नहीं है. उन्होंने आगे कहा, "बचाव दल कल रात से ही घटनास्थल पर काम कर रहे हैं."
किश्तवाड़ में जहां बादल फटा, वहां हर ओर तबाही का मंजर दिख रहा है. इस बीच मलबे में फंसे लोगों को बचाने और राहत पहुंचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है.
यहां बादल फटने के बाद भारी तबाही हुई है. बताया जा रहा है कि जिस जगह बादल फटा वो इलाका ऊंची पहाड़ियां से घिरा हुआ है. वहां बादल फटने के बाद सैलाब तेजी से बढ़ा और जबरदस्त तबाही मचाई.
किश्तवाड़ में आई आपता के बाद से रेक्स्यू ऑपरेशन जारी है. कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला जाए और आपदा से प्रभावित लोगों तक जल्द मदद पहुंचाई जाए.
बारिश के बावजूद पुलिस, सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय लोग मलबे में दबे जीवित लोगों को खोजने में जुटे हुए हैं. प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य को तेज करने के लिए कई अर्थ-मूवर्स तैनात किए हैं, जिनसे विशाल बोल्डर, उखड़े पेड़ और बिजली के खंभे हटाए जा रहे हैं.
इस आपदा में 16 रिहायशी मकान, सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पानी की चक्कियां और एक 30 मीटर लंबा पुल बह गया. दर्जनभर से ज्यादा वाहन भी इस बाढ़ की चपेट में आकर तबाह हो गए. बाढ़ से एक अस्थायी बाजार, लंगर स्थल और एक सुरक्षा चौकी भी पूरी तरह से तबाह हो गए हैं.
चोशिटी गांव किश्तवाड़ से करीब 90 किलोमीटर दूर है और मचैल माता मंदिर यात्रा का अंतिम सड़क मार्ग वाला पड़ाव है. हर साल लाखों श्रद्धालु यहां से 8.5 किलोमीटर पैदल यात्रा कर 9,500 फीट ऊंचाई पर स्थित मंदिर पहुंचते हैं.
इस बार यात्रा 25 जुलाई से शुरू हुई थी और 5 सितंबर तक चलनी थी, लेकिन अब हादसे के चलते इसे रोक दिया गया है. फोटो-वीडियो में देखा जा सकता है कि किस तरह मलबे और गाद से भरी बाढ़ ने गांव को समतल कर दिया, घर पत्तों की तरह ढह गए और सड़कें बड़े-बड़े पत्थरों से अवरुद्ध हो गईं.