हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में करीब 45 मीटर गहरी और 100 मीटर लंबी निर्माणाधीन सुरंग में फंसे तीन मजदूरों में से दो सतीश तोमर और मनी राम को सुरक्षित निकाल लिया गया है. तीसरे दिन तक जिंदगी की जद्दोजहद के दौरान उन्होंने जिंदा रहने के लिए पानी के साथ मिट्टी और कागज खाए.
पूरे नौ दिन और दो सौ घंटे बाद वो दोनों मौत को मात देकर कब्र से जिंदा बाहर निकल आए . सतीश तोमर बताते हैं कि कैसे पहले दिन उन्होंने मोबाइल की रोशनी में उस जगह की पड़ताल की जहां भूस्खलन के बाद वह फंस गए थे. इस पड़ताल में उनकी नजर कार्डबोर्ड, कागज, मिट्टी और पास ही पानी के पाइप पर पड़ी थी. वह बताते हैं कि 'हमने वो सब कुछ इकट्ठा किया और पानी के पाइप को बीच में से तोड़ा. लेकिन दुर्भाग्य से पाइप तोड़ने के बाद हमारे आसपास पानी भर गया.'
पहले दो दिन उन दोनों ने केवल पानी पिया लेकिन तीसरे दिन उन्होंने कागज के टुकड़ों को मिट्टी में मिलाकर पानी से निगल लिया. बचाय गए मजदूरों का कहना है कि हथोड़े और ड्रिलिंग की आवाज सुनकर उनकी उम्मीद बनी रही. चौथे दिन जब उन्होंने एक सुराख से आती रोशनी देखी तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
अपने काम पर बने रहने के बारे में जब उनसे पूछा गया तो सतीश तोमर ने कहा कि यहां काम करना हमारा मुकद्दर है. दुर्घटना तो कहीं भी घट सकती है. हम भगवान के शुक्रगुजार हैं कि हम बच गए .
गौरतलब हो कि 12 सितंबर को हिमाचल के बिलासपुर में मौजूद पहाड़ियों में बन रही एक सुरंग में चट्टान और मिट्टी के धंसने से अचानक ही तीन मजदूर अंदर फंस गए थे. बिलासपुर में कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन हाईवे पर पनोह के पास करीब डेढ़ किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने का काम चल रहा था. जिसमें से दो को सुरक्षित निकाल लिया गया है और एक मजदूर अब भी वहीं फंसा है.