
हिमाचल प्रदेश की पोंग डैम सेंक्चुरी में 1700 प्रवासी पक्षियों की संदिग्ध मौत से अधिकारी हैरान हैं. अधिकतर पक्षियों की मौत धामेटा और नगरोटा सूरियां वन क्षेत्रों के जगमोली और गुगलाडा इलाकों से रिपोर्ट हुई हैं. आशंका है कि इन पक्षियों की मौत एवियन फ्लू (बर्ड फ्लू) से हुई है. हालांकि, अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है. इस बाबत इंडिया टुडे ने वन्य प्राणी विभाग से बात की.
'एवियन फ्लू' की आहट?
वन्य प्राणी विभाग हमीरपुर के डिप्टी कंसर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट्स राहुल रोहाने ने इंडिया टुडे को बताया कि विभिन्न जगहों से 15 सैंपल्स लेकर इंडियन वेटेरिनेरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (बरेली), नार्दन रीजनल डिसीज डायग्नोस्टिक लैबोरेट्री (जालंधर) और हाई सिक्योरिटी एनीमल डिसीज लैबोरेट्री (भोपाल) भेजे गए हैं.
राहुल रोहाने ने कहा, “हम वायरल, बैक्टीरियल और पैथोजन टेस्ट रिपोर्ट्स चंद दिन में मिलने की उम्मीद कर रहे हैं. तब तक हम नहीं कह सकते कि पक्षियों की मौत एवियन फ्लू (बर्ड फ्लू) से हुई या नहीं. हमें शुरुआती संदेह है कि ये फ्लू हो सकता है, क्योंकि पक्षी बड़ी संख्या में मृत पाए गए.”

वन्यजीव अधिकारियों का कहना है कि मृत पक्षियों में 95 फीसदी Bar Headed Geese हैं, जो साइबेरिया और मंगोलिया से माइग्रेट करती हैं. हर साल ठंड में करीब 1.15 से 1.20 लाख प्रवासी पक्षी पोंग डैम सेंक्चुरी में आते हैं और करीब चार महीने यहीं रहते हैं.
टूरिस्ट गतिविधियों पर रोक
धर्मशाला जिला प्रशासन ने पोंग डैम सेंक्चुरी के आसपास सभी टूरिस्ट गतिविधियों पर ऐहतियातन रोक लगा दी है. ये रोक अगले आदेश तक प्रभावी रहेगी. प्रशासन को लैब टेस्ट रिपोर्ट का इंतजार है. इस बीच वन विभाग ने वेट लैंड में फ्लू सर्विलांस शुरू किया है. मृत पक्षियों की सैम्पलिंग भी की जा रही है. बीते साल मार्च में सभी सैंपल्स 'एवियन फ्लू' के लिए निगेटिव पाए गए थे.
आपको बता दें कि सबसे पहले मछुआरों ने पक्षियों की बड़ी संख्या में मौतों को रिपोर्ट किया था. फिलहाल, पूरे क्षेत्र में लोग 'एवियन फ्लू' के खतरे को लेकर डरे हुए हैं.
क्या होता है एवियन फ्लू?
एवियन इन्फ्लूएंजा को 'एवियन फ्लू' या 'बर्ड फ्लू' नाम से जाना जाता है, जो पक्षियों से फैलने वाली बीमारी है. इसके लिए H5N1 वायरस को जिम्मेदार माना जाता है. मानव समुदाय में संक्रमित पक्षी के संपर्क में आने से यह बीमारी होती है.
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