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'SC खबर को आधार नहीं मानता', हरियाणा में जबरन धर्मांतरण से जुड़ी याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी कि मेवात में हिंदुओं का कथित तौर पर जबरन धर्मांतरण हो रहा है. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस याचिका को खारिज किया.

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कथित जबरन धर्मांतरण की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में खारिज
कथित जबरन धर्मांतरण की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में खारिज
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हरियाणा के नूह में जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाया गया था
  • इसकी जांच के लिए SIT गठित करने की मांग सुप्रीम कोर्ट से हुई थी

हरियाणा के मेवात में हिंदुओं की कथित दयनीय स्थिति को लेकर दायर की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि वह न्यूज पेपर की खबर को आधार नहीं मान सकते. सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, इसमें दावा किया गया था कि मेवात के नूह में हिंदुओं की स्थिति दयनीय है. वहां उन पर अत्याचार और जबरन धर्मांतरण की बात कही गई थी. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस याचिका को खारिज किया.

इस याचिका को लखनऊ की वकील रंजना अग्निहोत्री, करुणोश शुक्ला सहित पांच लोगों ने दाखिल किया था. याचिका में इस मामले की सीबीआई या एनआइए से जांच कराए जाने की मांग की गई थी. कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में एसआइटी से जांच करवाई जानी चाहिए.

कोर्ट में किया गया निकिता तोमर का जिक्र

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जब यह याचिका आई तो कोर्ट ने कहा कि न्यूज पेपर की रिपोर्ट के आधार पर दाखिल याचिका पर कोर्ट भरोसा नहीं कर सकता. याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि वो खुद उस इलाके में गया है और लोगों से बात करके याचिका दाखिल की गई थी. आगे निकिता तोमर का भी जिक्र किया गया. याचिकाकर्ता ने कहा कि वह उसके परिजनों से भी मिला था.

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फरीदाबाद की निकिता तोमर की हत्या कर दी गई थी. बाद में उसके दोनों दोषी तौसीफ और रेहान को इसी साल मार्च में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. परिवार की मांग थी कि उन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जानी चाहिए. 26 अक्टूबर 2020 को फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में निकिता तोमर की कॉलेज के बाहर गोली मारकर हत्या की गई थी.

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