हरियाणा सरकार ने ऊर्जा संरक्षण कार्य योजना लागू करने का फैसला किया है. इसके तहत विभिन्न वर्गों के भवनों या इलाकों में सौर ऊर्जा पैदा करना जरूरी किया जाएगा. इस पर अमल कराने की उपयुक्त व्यवस्था भी की जाएगी.
यहां जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक, हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि इससे 200 मेगावाट बिजली पैदा होगी. कोयले और 16.60 लाख किलो लीटर पानी के रूप में सालाना 151 करोड़ रुपये की बचत होगी.
उन्होंने कहा कि इन अनिवार्य प्रावधानों को लागू करने से सालाना 32 करोड़ यूनिट बिजली की बचत होगी. साथ ही प्रति वर्ष तीन लाख टन कार्बन उत्सर्जन भी रोकने में मदद मिलेगी.
विज्ञप्ति में कहा गया है कि नगर निगमों और हुडा-एचएसआईआईडीएस सेक्टरों की सीमाओं में आने वाले 500 वर्ग गज और इससे अधिक के भूखंड पर बने सभी रिहाइशी भवनों पर कम से कम एक किलोवाट या उस घर में बिजली कनेक्शन लोड के पांच प्रतिशत में से जो भी अधिक होगा, उसके बराबर की क्षमता का सौर बिजली प्लांट लगाना अनिवार्य होगा.
30 प्रतिशत केंद्रीय वित्तीय सहायता लेने के बाद न्यूनतम प्रस्तावित क्षमता के लिए उपभोक्ता को 52,500 रुपये खर्च करने होंगे. सभी निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, मॉल्स, होटल के मामले में जहां कनेक्टेड लोड 50 किलोवाट से 1,000 किलोवाट है, वहां न्यूनतम 10 केडब्ल्यूपी या कनेक्टेड लोड का 5 प्रतिशत में भी अधिक हो, उसके बराबर का सौर ऊर्जा प्लांट लगाना होगा.