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विवाह कानून के जरिए सिखों को रिझाने में लगी हरियाणा सरकार

हरियाणा के सिख दंपति अब आनंद मैरिज एक्ट के तहत अपने विवाह का रेजिस्ट्रेशन करा सकेंगे. अब उन्हें हिंदू मैरिज एक्ट के तहत अपने विवाह को पंजीकृत नहीं करवाना होगा.

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हरियाणा
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हरियाणा के सिख दंपति अब आनंद मैरिज एक्ट के तहत अपने विवाह का रेजिस्ट्रेशन करा सकेंगे. अब उन्हें हिंदू मैरिज एक्ट के तहत अपने विवाह को पंजीकृत नहीं करवाना होगा. हरियाणा सरकार ने राज्य में आनंद पंजीकरण अधिनियम 2014 के तहत सिख दंपतियों के विवाह के पंजीकरण के लिए इस कानून को अधिसूचित किया है.

गृह विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘राज्य के भीतर ‘आनंद कारज’ के पंजीकरण के उद्देश्य से, ग्रामीण क्षेत्रों के मामले में संबंधित राजस्व अधिकारी और नगर निगम के मामले में संबंधित संयुक्त आयुक्त अपने अपने क्षेत्रों में पंजीयक के तौर पर अधिकृत किये गये हैं.’ उन्होंने कहा, ‘जबकि नगर पालिका समिति के लिए संबंधित कार्यकारी अधिकारी और शहरी क्षेत्रों के नगर पालिका परिषद के लिए संबंधित सचिव अपने अपने क्षेत्रों में पंजीयक के तौर पर अधिकृत हैं.’

उन्होंने कहा कि आनंद कारज उस पंजीयक द्वारा पंजीकृत की जाएंगी, जिनके क्षेत्र में यह विवाह हुआ होगा.

राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक सिख समुदाय हरियाणा की सिरसा, कुरुक्षेत्र, अंबाला और करनाल लोक सभा सीटों के तहत आने वाले 30 विधानसभा सीटों पर महत्वपूर्ण किरदार निभाते हैं. इसके अलावा इस समुदाय के लोग फरीदाबाद और गुड़गांव में भी रहते हैं. राज्य सरकार के इस फैसले को राजनीतिक विशेषज्ञ आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भूपिंदर सिंह हुड्डा सरकार द्वारा राज्य में बड़ी संख्या में रह रहे सिखों को रिझाने की नीति का हिस्सा मान रहे हैं.

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गौरतलब है कि हरियाणा में पंजाब के बाद सबसे ज्यादा संख्या में सिख रहते हैं. यहां की कुल आबादी का 15 फीसदी हिस्सा सिखों का है.

आनंद मैरिज एक्ट 1909 में बना था. इसके तहत उन विवाहों के रेजिस्ट्रेशन करवाने की जरूरत नहीं थी जो हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत रेजिस्टर्ड हैं.

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