हरियाणा में संत रामपाल दास महाराज को लेकर कुछ ऐसा कोहराम मचा है कि स्थानीय प्रशासन की नींद उड़ी हुई है. संत समर्थक और पुलिस बल आमने-सामने हैं. एक किसान के घर में जन्मे रामपाल की खातिर सैंकड़ों लोग अपनी लाश बिछाने को तैयार हैं. एक नजर संत रामपाल के जीवन पर-
- सोनीपत के गोहाना तहसील के धनाना गांव में रामपाल दास का जन्म हुआ.
- पढ़ाई पूरी करने के बाद रामपाल को हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की नौकरी मिल
गई.
- नौकरी के दौरान रामपाल की मुलाकात 107 साल के कबीरपंथी संत स्वामी रामदेवानंद महाराज से हुई. रामपाल उनके
शिष्य बन गए.
- 21 मई 1995 को संत रामपाल ने 18 साल की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और सतसंग करने लगे.
- संत रामपाल के अनुयायियों की संख्या बढ़ती चली गई. कमला देवी नाम की एक महिला ने करोंथा गांव में बाबा
रामपाल दास महाराज को आश्रम के लिए जमीन दे दी.
- 1999 में बंदी छोड़ ट्रस्ट की मदद से रामपाल महाराज ने सतलोक आश्रम की नींव रखी.
...और विवादों में घिरते चले गए संत रामपाल महाराज
2006 में स्वामी दयानंद की लिखी एक किताब पर संत रामपाल ने एक टिप्पणी की. आर्यसमाज को ये टिप्पणी बेहद
नागवार गुजरी और दोनों के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हुई. घटना में एक शख्स की मौत भी हो गई. इसके बाद
एसडीएम ने 13 जुलाई 2006 को आश्रम को कब्जे में ले लिया. रामपाल और उनके 24 समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया
गया. 2009 में संत रामपाल को आश्रम वापस मिल गया.
संत रामपाल के खिलाफ आर्यसमाज के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी. 12 मई 2013 को नाराज आर्य समाजियों और संत रामपाल के समर्थकों में एक बार फिर झड़प हुई. इस हिंसक झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई, करीब 100 लोग घायल हो गए. अब इसी मामले में संत रामपाल को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पेश होना है.
5 नवंबर को पंजाब-हरियाणा कोर्ट ने संत रामपाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया. 10 नंवबर को संत रामपाल को कोर्ट में पेश होना था, लेकिन संत के समर्थकों ने रामपाल को अस्वस्थ बताकर, गिरफ्तारी का आदेश मानने से ही इनकार कर दिया और संत रामपाल कोर्ट में पेश नहीं हुए. अब कोर्ट ने बाबा के लिए 17 नवंबर की सुबह 10 बजे का अल्टीमेटम दिया है. नए वारंट के साथ, कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा सरकार और प्रशासन को भी बाबा के लिए फटकार लगाई है.