गुरमीत राम रहीम के समर्थकों द्वारा पंचकूला में फैलाई गई हिंसा से किरकिरी झेल रहे हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गुरुवार को सारा ठीकरा विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर फोड़ दिया. खट्टर सरकार ने कहा कि राम रहीम सहित जाट आरक्षण और रामपाल प्रकरण के मामले पुराने थे और इनसे निपटने की जिम्मेदारी कांग्रेस सरकार की ही थी.
राम रहीम हिंसा से झाड़ा पल्ला
उन्होंने कहा कि 'गुरमीत राम रहीम प्रकरण 1990 का है. सभी पार्टियां इन विषयों को दबाती आई हैं. खट्टर ने कहा कि अब हमने सब कुछ कंट्रोल किया है. हमने अपील भी की थी कि बाबा को कोर्ट के सामने आकर पेश होना चाहिए और बाबा ने कहा था कि वह कोर्ट में पेश होगा. स्थिति को संभालने का काम सेना और अर्धसैनिक बलों का है. स्थिति बिगड़ने नहीं देनी चाहिए और कोर्ट ने भी कहा था फोर्स लगाई जा सकती है. कुछ लोगों की जान ली गई है, ऐसी स्थिति में संयम का व्यवहार करना चाहिए.
रामपाल को सात दिन के भीतर कोर्ट में पेश किया
खट्टर ने इससे पहले घटे रामपाल प्रकरण और जाट आरक्षण आंदोलन के बाद भड़की हिंसा के लिए भी कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया. खट्टर ने कहा कि रामपाल प्रकरण को देख लें जो करोथा से शुरू हुआ था हमने तो 26 अक्टूबर को शासन संभाला था. नवंबर के फर्स्ट वीक में यह कह दिया गया कि रामपाल को कोर्ट में पेश करो. कोर्ट में पेश करने के वक्त कोई भी दुर्घटना होती तो शायद बहुत बड़ा नुकसान हो सकता था. उस समय बरवाला के डेरे के अंदर 15000 लोग अंदर बैठे थे और हमने बिना गोली के बिना फोर्स का उपयोग किए हुए डेरा को खाली करवाया. सात दिन बाद रामपाल को बाहर निकालकर कोर्ट में पेश किया कोई हिंसात्मक कार्रवाई उस वक्त नहीं हुई.
राजनीतिक कारणों से भड़का जाट आंदोलन
मनोहर लाल खट्टर ने जाट आरक्षण आंदोलन और उसके बाद भड़की हिंसा के लिए भी राजनीतिक कारणों को जिम्मेदार ठहराया. खट्टर ने कहा कि उनकी विरोधी पार्टियां सरकार को अस्थिर करना चाहती थीं इसलिए आंदोलन का रुख मोड़ने की कोशिश की गई.
जाट आंदोलन को काबू किया
खट्टर ने कहा, जहां तक जाट आंदोलन का विषय है, यह भी बहुत पुरानी मांग थी. इस पुरानी मांग को कभी किसी सरकार ने पूरा नहीं किया. हमने मान लिया था कि हम कानून बनाकर आरक्षण देंगे. यह बात मामने के बाद भी आंदोलन खड़ा हो गया. उस आंदोलन का उस मामले के साथ कोई संबंध नहीं रहा. इसके पीछे निश्चित रूप से राजनीतिक कारण थे.
राजनीतिक कारणों से कुछ लोगों ने सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की. जाट आंदोलन को भी हमने 2 दिनों के अंदर कंट्रोल किया. इसमें जान माल का नुकसान के लिए हमने लोगों को मुआवजा भी दिया.
यह पहली बार है जब मनोहर लाल खट्टर ने इन तीन प्रकरणों का ठीकरा विपक्षी पार्टी पर फोड़ा है. तीन दिनों के विधानसभा सत्र के दौरान वह कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल के निशाने पर रहे. दरअसल, दो साल बाद हरियाणा में फिर से विधानसभा चुनाव हैं. खट्टर सरकार के पहले 3 वर्ष का कार्यकाल काफी विवादित रहा है. हालांकि हरियाणा की बीजेपी सरकार इन तीन सालों को उपलब्धियों से भरा बता रही है, लेकिन विपक्ष जाट आरक्षण आंदोलन, रामपाल प्रकरण और गुरमीत राम रहीम को जेल भेजने के बाद हुई हिंसा के मामलों को लेकर सरकार की किरकिरी कर रहा है.