भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा के बड़बोले पार्टी नेताओं द्वारा पद्मावती फिल्म पर की गई विवादित टिप्पणियों से किनारा कर लिया है. बता दें कि हरियाणा बीजेपी प्रवक्ता जवाहर यादव ने सोमवार को कहा कि पार्टी नेताओं द्वारा पद्मावती फिल्म के विरोध में दिए गए बयान निजी हैं और उनसे पार्टी का कुछ भी लेना- देना नहीं.
यादव ने कहा कि पार्टी के मीडिया कोऑर्डिनेटर सूरजपाल अम्मू ने अपना बयान एक राजपूत होने के नाते दिया था. हरियाणा भारतीय जनता पार्टी के प्रभारी अनिल जैन ने भी सूरजपाल की बयानबाजी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि भारतीय जनता पार्टी को इन बयानों से कोई सरोकार नहीं है.
गौरतलब है कि सूरजपाल ने रविवार को दीपिका पादुकोण और संजय लीला भंसाली का सिर काटने पर 10 करोड़ रुपए देने का एलान किया था. अम्मू यहां तक कह गए कि पद्मावती फिल्म के पक्ष को लेकर रणवीर सिंह ने अगर अपना बयान वापस नहीं लिया तो वह उनकी टांगें तोड़ कर हाथ में दे देंगे.
पद्मावती विवाद में विवादित बयान देने वाले सूरजपाल हरियाणा के अकेले बीजेपी नेता नहीं हैं. इससे पहले स्वास्थ्य एवं खेल मंत्री अनिल विज और पर्यावरण मंत्री विपुल गोयल भी विवाद से जुड़ चुके हैं. हैरान कर देने वाली बात यह है कि यह दोनों नेता राजपूत जाति से ताल्लुक नहीं रखते.
विपुल गोयल ने बाकायदा सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी और संजय लीला भंसाली को पत्र लिखकर अलाउद्दीन खिलजी जैसे पात्र को हीरो बनाने पर आपत्ति जताई थी.
बड़बोले नेता अनिल विज ने तो यहां तक कह दिया था कि वह पद्मावती फिल्म को हरियाणा में रिलीज ही नहीं होने देंगे.
विज के मुताबिक संजय लीला भंसाली ने रानी पद्मावती का अनादर किया है जो भारतीय महिलाओं के लिए एक गर्व है जिसे वह सहन नहीं करेंगे.
खुद को सती करने वाली पद्मावती के लिए लड़ाई लड़ रहे भारतीय जनता पार्टी के नेता अपनी ही पार्टी के अध्यक्ष सुभाष बराला के बेटे विकास बराला और चचेरे भाइयों द्वारा की गई छेड़छाड़, अपहरण और शारीरिक शोषण के मामलों पर चुप्पी साधे हुए हैं. विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इन नेताओं को अपने गिरेबान में झांकने की सलाह दी है.