हरियाणा विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बीजेपी के सियासी समीकरण को मजबूत करने में जुट गए हैं. मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने दलितों को साधने के लिए राज्य के सफाई कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने का फैसला किया है. इसके अलावा पाल गड़रिया समुदाय को पिछड़ा वर्ग से निकाल कर अनुसूचित जाति (SC) में शामिल कर बड़ा दांव चला है. ये दोनों मांगें काफी लंबे समय से हरियाणा में उठ रही थीं.
बता दें कि हरियाणा में पाल गड़रिया जाति मूल रूप से सैंसी समुदाय की सब-कास्ट है. हरियाणा में सैंसी समुदाय को अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है, जबकि इसकी सब कास्ट पाल गड़रिया को अन्य पिछड़ा वर्ग में रखा गया था. पाल गड़रिया समुदाय के लोग काफी लंबे समय से अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने की मांग कर रहे थे. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 2016 में अहिल्या बाई होल्कर जयंती पर गड़रिया को एससी में शामिल करने का वादा किया था, जिसे अब अमलीजामा पहनाया है.
SC जाति में पाल-गड़रिया समाज
हरियाणा की खट्टर सरकार ने इस मामले को लेकर एक कमेटी का गठन किया था. कमेटी की सिफारिशों के बाद राज्य सरकार ने पाल गड़रिया बिरादरी को पिछड़ा वर्ग से बाहर निकालकर अनुसूचित जाति में शामिल करने का फैसला किया है. सीएम खट्टर ने कहा कि पाल गड़रिया समाज अनुसूचित जाति में शामिल मूल जाति और उप जाति को अलग-अलग श्रेणियों में शामिल किए जाने से इस समुदाय के लोग दुविधा में थे. इनकी यह मांग जायज थी जिसे सरकार ने पूरा किया है.
हरियाणा में पाल-गड़रिया जाति की आबादी करीब 20 लाख मानी जाती है. प्रदेश की सियासत में इस समुदाय को कोई खास तवज्जो नहीं मिली है. इतना ही नहीं पाल-गड़रिया समाज से कोई सांसद या विधायक नहीं बन सका है. ऐसे में खट्टर सरकार ने उनकी काफी पुरानी मांग को पूरा करके अपने राजनीतिक समीकरण को दुरुस्त करने का दांव चला है.
सफाई कर्मियों का वेतन बढ़ा
पाल-गड़रिया समुदाय के साथ-साथ मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सफाई कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने का ऐलान किया है. हरियाणा के नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पालिकाओं में काम कर रहे सफाई कर्मचारियों के वेतन को साढ़े 13 हजार से बढ़ाकर 15 हजार रुपये प्रतिमाह करने की घोषणा की है.
साथ ही गांवों में काम कर रहे सफाई कर्मचारियों को अब 11 की बजाय साढ़े 12 हजार रुपये वेतन देने का ऐलान किया है. इस बढ़ोतरी से शहरों के करीब 28 हजार और गांवों के लगभग 11 हजार सफाई कर्मचारियों को फायदा होगा. सफाई कर्मचारी के तौर पर बड़ी आबादी दलित समुदाय की है, जिन्हें साधने के लिए खट्टर ने चुनाव से पहले बड़ा दांव चला है. हरियाणा में दलित समुदाय की आबादी करीब 20 फीसदी है.