हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए समीकरण सेट किए जाने लगे हैं. बीजेपी प्रदेश में मिशन-75 प्लस के टारगेट को हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है. वहीं, मनोहर लाल खट्टर को प्रदेश की सत्ता में आने से रोकने के लिए विपक्षी दल महागठबंधन बनाने की कवायद में है. हरियाणा की सियासी जंग फतह करने के लिए कांग्रेस दुष्यंत चौटाला से हाथ मिलाने की जुगत में है.
लोकसभा चुनाव से पहले ओम प्रकाश चौटाला का कुनबा दो धड़ों में बंट गया है. अभय चौटाला के पास जहां इनेलो की कमान है, वहीं अजय चौटाला ने अपने बेटे दुष्यंत चौटाला के साथ मिलकर जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) पार्टी बनाई है. लोकसभा चुनाव में हरियाणा में सभी दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला था. बीजेपी हरियाणा की सभी 10 सीटें जीतने में कामयाब रही है.
लोकसभा चुनाव की हार से सबक लेते हुए विधानसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों ने जोड़-तोड़ शुरू कर दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 18 अगस्त को महापरिवर्तन रैली करने का ऐलान कर दिया है. माना जा रहा है कि हुड्डा इस रैली के जरिए सियासी लकीर खींचने की कोशिश करेंगे. हुड्डा रैली के दिन कोई बड़ा फैसला ले सकते है.
इन सबके बीच बीजेपी को दोबारा सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस विपक्षी दलों को एकजुट करना चाहती है. कांग्रेस के एक विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगर बीजेपी को हरियाणा में सत्ता में आने से रोकना है तो उसके लिए महागठबंधन की जरूरत है.
वहीं, दुष्यंत चौटाला अपना सियासी वजूद स्थापित करने के लिए सहारा तलाश रहे हैं. लोकसभा चुनाव में दुष्यंत आम आदमी पार्टी के साथ हाथ मिलाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी. अब एक बार फिर विधानसभा चुनाव के लिए साथी की तलाश कर रहे हैं.
वहीं, कांग्रेस भी लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद अपनी सियासी ताकत से अच्छी तरह वाकिफ हो चुकी है. ऐसे में वह दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के साथ हाथ मिला सकती है. अगर दोनों दल एक साथ आते हैं तो हरियाणा का जाट समुदाय का बड़ा तबका गठबंधन के साथ खड़ा हो सकता है. इसी के मद्दनेजर दोनों दलों के बीच गठबंधन की खिचड़ी पक रही है.